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कठुआ मामला CBI को सौंपा जाए या नहीं, SC आज ले सकता है फैसला

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को कठुआ मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपने से जुड़ी अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर सकता है। कोर्ट मामले की सुनवाई चंडीगढ़ ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिकाओं पर भी विचार कर सकता है। उच्चतम न्यायालय कठुआ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामला तथा इस घटना की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपने के आग्रह से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सोमवार (7 मई) को सुनवाई कर सकता है। न्यायालय मामले की सुनवाई चंडीगढ़ स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिकाओं पर भी विचार कर सकता है। मामले की सुनवाई चंडीगढ़ स्थानांतरित करने को लेकर दायर पीड़िता के पिता की अर्जी और मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपने के आग्रह को लेकर दायर आरोपियों की याचिका पर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ सुनवाई करेगी। पीठ ने इससे पहले 7 मई तक के लिए मामले की सुनवाई को स्थगित करने का आदेश दिया था।

क्या है कठुआ मामला

कठुआ की आठ साल की बच्ची का 10 जनवरी को अपहरण कर लिया गया था। बच्ची को एक मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया। इस दौरान उसे भूखा रखा गया और नशीली दवाइयां दी गई और बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। इसके बाद बच्ची की हत्या कर दी गई। बच्ची का शव 17 जनवरी को रसाना गांव के जंगल से मिला था। सरकार ने 23 जनवरी को मामले की जांच राज्य पुलिस की अपराध शाखा को सौंप दी थी। अपराध शाखा ने विशेष जांच दल गठित किया जिसने दो विशेष पुलिस अधिकारियों और एक हेड कांस्टेबल समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया है।

जांच सीबीआई को सौंपी जाए, आरोपियों ने SC से कहा
कठुआ सामूहिक बलात्कार मामले के दो मुख्य आरोपियों ने बीते 4 मई को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए, ताकि न्याय हो सके। आरोपियों ने मुकदमे को चंडीगढ़ स्थानांतरित किए जाने की याचिका का भी विरोध किया था। सांझी राम और विशाल जंगोत्रा ने दावा किया कि पुलिस एक निष्पक्ष और प्रभावी जांच करने में नाकाम रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मामले की जांच करने वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) में दागी अधिकारी शामिल थे।

शीर्ष न्यायालय में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में आरोपियों ने मृतका के पिता की उस याचिका का विरोध किया है जिसके तहत उन्होंने मुकदमे की सुनवाई कठुआ से चंडीगढ़ स्थानांतरित करने की मांग की है। उन्होंने दलील दी है कि मामले में 221 गवाह हैं और चंडीगढ़ जाकर अदालती कार्यवाही में शामिल होना उनके लिए मुश्किल होगा। आरोपियों ने दावा किया कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है।

 

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