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यशवंत सिन्हा की BJP सांसदों से अपील, कहा – मोदी सरकार के खिलाफ उठाएं आवाज

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केंद्र की सत्ता में अपने चार साल पूरी कर चुकी नरेंद्र मोदी सरकार इन दिनों घिरी चारो ओर से घिरी हुई नजर आ रही है. जहां एक ओर अर्थव्यवस्था, नौकरी, किसानों की समस्या, दलित मुद्दा और अब महिला सुरक्षा को लेकर विपक्ष मोदी सरकार को घेरने का काम कर रही है. वहीं दूसरी ओर भाजपा के वरिष्‍ठ नेता यशवंत सिन्हा ने अपनी ही पार्टी की सरकार को एक बार फिर निशाने पर लिया है. उन्होंने लिखा है कि चार साल पूरे कर चुकी सरकार हर मोर्चे पर फेल रही है अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में यशवंत सिन्हा ने एक आर्टिकल लिखकर मोदी सरकार को घेरा है। जिसमें उन्होंने भाजपा सांसदों से मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है। इससे पहले भी यशवंत सिन्हा अपने लेख के माध्यम से मोदी सरकार को घेर चुके हैं।

भारत के दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था के सरकार के दावे के बावजूद आर्थिक हालात चिंताजनक हैं। तेज गति से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था में इस तरह से गैर-निष्‍पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) एकत्र नहीं होती हैं, जिस तरह से पिछले चार साल में एकत्र हुई हैं। ऐसी अर्थव्‍यवस्‍था में किसानों की हालत खराब नहीं होती है, युवक बेरोजगार नहीं होते, छोटे व्‍यापार का खात्‍मा नहीं होता और बचतों एवं निवेश में इस तरह गिरावट नहीं होती, जिस तरह पिछले चार सालों में देखने को मिली है। भ्रष्‍टाचार एक बार फिर से सिर उठाने लगा है। कई बैंक घोटाले सामने आए हैं और घोटाला करने वाले देश से बाहर भागने में कामयाब रहे हैं और सरकार असहाय सी देखते रह गई है।

महिलाएं आज जिस कदर असुरक्षित हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। बलात्‍कार के मामले बढ़े हैं और बलात्‍कारियों पर सख्‍त कार्रवाई करने के बजाय हम उनसे क्षमा मांगते हुए दिखते हैं। कई मामलों में हमारे अपने लोग इस घृणित कृत्‍य में शामिल हैं। अल्‍पसंख्‍यकों में अलगाववाद बढ़ा है। इससे भी बदतर यह है कि समाज के सबसे कमजोर एससी/एसटी तबके के खिलाफ अत्‍याचार और असमानता इस दौर में सबसे ज्‍यादा देखने को मिल रही है और इन लोगों को संविधान द्वारा प्रदत्‍त सुरक्षा एवं सुविधा की गारंटी खतरे में दिखाई देती है।

सरकार की विदेश नीति पर यदि नजर डाली जाए तो प्रधानमंत्री के लगातार विदेशी दौरों और विदेशी राजनेताओं के साथ गले लगने की तस्‍वीरें ही दिखती हैं। भले ही वह इसे पसंद या नापसंद करते हों। इनसे लेकिन असल में कुछ हासिल होता नहीं दिखता। हमारे पड़ोसियों के साथ रिश्‍ते मधुर नहीं हैं। चीन क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है और हमारे हित प्रभावित हो रहे हैं। पाकिस्‍तान में हमारे बहादुर जवानों ने शानदार तरीके से सर्जिकल स्‍ट्राइक किया लेकिन उसका कोई प्रतिफल नहीं मिला। पाकिस्‍तान उसी तरह से आतंक फैला रहा है। जम्‍मू-कश्‍मीर सुलग रहा है. नक्‍सलवाद को अभी भी दबाया नहीं जा सका है।

पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र पूरी तरह से खत्‍म हो गया है। मित्रों ने मुझे बताया कि यहां तक कि पार्टी की संसदीय दल की बैठकों में भी उनको अपने विचार रखने का मौका नहीं मिलता। पार्टी की अन्‍य बैठकों में भी केवल एकतरफा संवाद होता है। वे बोलते हैं और आप सुनते हैं। प्रधानमंत्री के पास आपके लिए समय ही नहीं है। पार्टी हेडक्‍वार्टर कॉरपोरेट ऑफिस हो गया है और वहां पर सीईओ से मिलना नामुमकिन सा है।

पिछले चार वर्षों में सबसे बड़ा खतरा हमारे लोकतंत्र के लिए उपस्थित हुआ है। लोकतांत्रिक संस्‍थाओं का क्षरण हुआ है। संसद की कार्यवाही हास्‍यास्‍पद स्‍तर पर पहुंच गई है। संसद का बजट सत्र जब बाधित हो रहा था तो प्रधानमंत्री ने उस दौरान इसको सुचारू रूप से चलाने के लिए विपक्षी नेताओं के साथ एक भी बैठक नहीं की। उसके बाद दूसरों पर इसका ठीकरा फोड़ने के लिए उपवास पर बैठ गए ।यदि इसकी तुलना अटल बिहारी वाजपेयी के दौर से की जाए तो उस दौरान हम लोगों को स्‍पष्‍ट निर्देश था कि विपक्ष के साथ सामंजस्‍य बनाकर सदन को सुचारू ढंग से चलाया जाना चाहिए। इसलिए जैसा भी चाहता था, उन नियमों के अधीन स्‍थगन प्रस्‍ताव, अविश्‍वास प्रस्‍ताव पेश होते थे और अन्‍य चर्चाएं होती थीं।

इसके साथ ही यशवंत सिन्‍हा ने बीजेपी सांसदों से अपील करते हुए कहा कि राष्‍ट्रीय हितों के मद्देनजर आपको अपनी आवाज उठानी चाहिए। इसके साथ ही कहा कि यह खुशी की बात है कि पांच दलित सांसदों ने अपनी आवाज उठाई है। यदि अब आप खामोश रहेंगे तो इस राष्‍ट्र की आगे आने वाली पीढ़ियां आपको माफ नहीं करेंगी।

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