नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर सौरव गांगुली महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के साथ काफी क्रिकेट खेले। गांगुली ने अपनी आने वाली आत्मकथा ‘अ सेंचुरी इस नॉट एनफ’ में अपने करियर के कई रहस्यों का खुलासा किया है। सौरव गांगुली ने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। गांगुली ने एक शो के दौरान बातचीत में सचिन का एक ऐसा राज खोला है जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो।
गांगुली ने बताया कि सचिन तेंदुलकर को नींद में चलने की आदत थी। एक वाकये का जिक्र करते हुए गांगुली ने बताया, ‘इंग्लैंड दौरे के दौरान सचिन तेंदुलकर मेरे रूममेट थे। एक दिन देखा कि आधी रात में सचिन रूम में चल रहा है। मैंने सोचा वॉशरुम वगैरह गया होगा और मैं उल्टे साइट सो गया। सुबह मैंने उससे कुछ नहीं पूछा। लेकिन अगले दिन फिर रात को देखा तो वह रूम में चल रहा है। मैंने सोचा ये करता क्या है रात को? वह (सचिन) पूरे रूम के चक्कर लगाता था और चेयर पर बैठता था फिर सो जाता था।
गांगुली ने आगे बताया कि इस बारे में मैंने बाद में सचिन से बात करते हुए पूछा, ‘यार तू करता क्या है रात को, डराता है मुझे पूरी रात.. तब उसने बताया कि मैं रात को नींद में चलता हूं और नींद में चलना मेरी आदत है।’
यहीं नहीं गांगुली ने बताया कि सचिन तेंदुलकर हैवी बल्ले का प्रयोग करते थे और कई बार सचिन ने मेरे बल्ले का भी प्रयोग किया। एक और वाकये का जिक्र करते हुए गांगुली ने कहा कि 1992 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान सचिन रात को 2 बजे कमरे में बल्लेबाजी की प्रैक्टिस करते थे।
गांगुली ने एक दूसरा राज खोलते हुए बताया कि कैसे सचिन ने 1996 में लॉर्ड्स उनके (गांगुली) डेब्यू टेस्ट में मदद की थी।
गांगुली ने कहा, ‘ये मेरे पहले टेस्ट में हुआ, मैं टी के समय 100 पर बैटिंग कर रहा था।’ मैं छह घंटे बैटिंग करने के बाद जल्दी से आया। मेरे बैट का हैंडल चटक गया था। मैं पैड पहने हुए थे और मुझे एक चाय का कप दिया गया। टी बहुत कम समय..15 मिनट की होती है। मैं अपने बैट के हैंडल पर टेप लगाने की कोशिश कर रहा था। तब वह (सचिन) मेरे पास आए और कहा, तुम आराम करो और अपनी चाय खत्म करो क्योंकि तुम्हें बैटिंग के लिए जाना है, मैं ये काम कर दूंगा।’
गांगुली ने भारत के लिए अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच नवंबर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। भारत ने उस मैच में जीत हासिल की थी। नागपुर में खेले गए उस टेस्ट की पहली पारी में गांगुली ने शतक जड़ा था। उस मैच में जब भारत जीत के करीब पहुंचा तो कुछ देर के लिए धोनी ने उन्हें कप्तानी सौंप दी थी। गांगुली ने इसका जिक्र अपनी आत्मकथा में किया है।