नई दिल्ली: भारत और श्रीलंका के बीच चल रहे टेस्ट मैच में रविवार को जो हुआ उसने इस चर्चा को गर्म कर दिया कि इतने प्रदूषण में मैच करवाकर बीसीसीआई क्रिकेट खेल रहा है या खिलाड़ियों के स्वास्थ्य से। क्योंकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए मैच को तत्काल बंद करने की सलाह दी है।
आईएमए अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि पीएम 2.5 के दो सौ से ज्यादा होने पर लोगों को दौड़ने-भागने संबंधी काम नहीं करने की सलाह दी जाती है। इसके तीन सौ से ज्यादा होने पर तेज चलने के लिए भी मना किया जाता है। क्योंकि तेज चलने, भागने और भारी या कठिन काम करते समय इंसान ज्यादा सांस लेता है।
प्रदूषित हवा में इसका मतलब है ज्यादा प्रदूषण को अपने फेफड़ों में भेजना। जाहिर सी बात है कि फेफड़ों में जा रहा यह प्रदूषण बीमार ही करेगा। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय मैच करवाना, ऐसे खिलाड़ियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना ही है।
बंद हो मैच… डॉ. अग्रवाल का कहना है कि अब समय आ गया है कि हम प्रदूषण को लेकर भी कड़े फैसले लें। हमे ऐसे बड़े आयोजनों को रद्द कर यह संदेश देना ही होगा कि तय से चार, पांच या छह गुणा प्रदूषण भी ओके नहीं है। अन्यथा यह एक परिपाटी बन जाएगी और पीएम 2.5 के तीन सौ के स्तर को भी सामान्य माना जाने लगेगा। बता दें कि इससे पहले भी डॉ. अग्रवाल ने राजधानी में होने वाले वॉकाथन को रद्द करने की सलाह दे चुके हैं।
फेफड़ों को नुकसान: पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के रेस्परेट्री विभाग के प्रमुख डॉ. राजकुमार बताते हैं कि पिछले दिनों की तुलना में एक बार फिर राजधानी के वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई है। इसका कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुआं है जो फॉग की वजह से वायुमंडल में ऊपर नहीं जा पा रहा है। इसमें पार्टीकुलेट मैटर के अलावा मुख्य रूप से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, और सल्फर डाइऑक्साइड होता है। वहीं डीजल से चलने वाली गाड़ियों की वजह से वायु में कार्बन डाइऑक्साइड और लेड भी होता है। जो फेफड़ों को सबसे पहले और सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।
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