भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने अपने शानदार प्रदर्शन से भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया को अपना दीवाना बनाया हुआ है। शिखर धवन की बल्लेबाजी से बड़े-बड़े से गेंदबाज डरते हैं। यही वजह है कि शिखर धवन का नाम भारतीय टीम के महान खिलाडिय़ों में लिया जाता है। लेकिन उनका क्रिकेट का यह सफर इतना आसान नहीं रहा है।
भारतीय टीम में चयन न होने की वजह से हो गए थे निराश
वनडे क्रिकेट में साल 2010 में शिखर धवन ने डेब्यू किया था लेकिन 2001 तक उन्होंने भारतीय टीम मे जगह बनाने में कड़ी मेहनत की थी। हालांकि टीम में अच्छे प्रदर्शन के बाद भी जगह नहीं मिल पाई थी। जिसके बाद वह बहुत निराश हो गए थे और उन्होंने क्रिकेट को छोडऩे का भी मन बना लिया था।
जूते की फैक्ट्री में करते थे काम
जब 2001 में भारतीय टीम में शिखर धवन को जगह नहीं मिली थी तो वह निराश हो गए थे और उन्होंने क्रिकेट छोडऩे का मन बना लिया था और नौकरी करने का फैसल किया था। शिखर धवन ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि साल 2001 में दिल्ली के लिए अंडर-16 में टीम में उन्हें महज 2 मैच ही खिलाए थे उसके बाद उन्हें बाहर कर दिया था।
उसके बाद उन्होंने क्रिकेट छोडऩे का मन बना लिया था। उसके बाद उन्होंने अपने मौसा की जूते की फैक्ट्री में काम करने का मन बनाया था। उनकी जूते के बॉक्स बनाने की फैक्ट्री थी और वह वहां पर नौकरी करने के लिए चले गए थे।
शिखर धवन को मौसा की फैक्ट्री में महीनें के 3500 रूपए मिलने थे लेकिन वह 2 दिन ही काम पर गए थे जिसके बाद वह बोर हो गए थे और वह वापस क्रिकेट के ग्राउंड पर आ गए थे। उसके बाद फिर कभी धवन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा था।
किस्मत बदली आईपीएल ने
आईपीएल की शुरूआत 2008 में हुई थी औैर इसी के साथ उनकी किस्मत भी बदल गई थी। आईपीएल दुनिया की सबसे बड़ी टी20 लीगों में से एक है और इसमें सहवाग और गंभीर जैसे दिग्गज खिलाडिय़ों के साथ खेलकर शिखर धवन ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया था और उसके बाद भारतीय टीम में उनकी जगह पक्की हो गई थी। बीसीसीआई ने आज धवन को ए केटेगरी में शामिल किया है जिसमें उन्हें सालाना 5 करोड़ रूपए की फीस मिलती है।