नई दिल्ली : विवादों से घिरी स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया का विकल्प खेल मंत्रालय ने खोज लिया गया है। खेल मंत्रालय ने खेलों इंडिया के तहत देश के खेलों की बुनियाद मजबूत करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। ताज़ा जानकारी के अनुसार इस दिशा में बाक़ायदा नियुक्तियां भी की जा रही हैं और शीघ्र ही देश में स्कूली और कालेज स्तर का मजबूत ढांचा तैयार हो सकता है। अर्थात एसजीएफआई के बुरे दिनों की शुरुआत हो गई है। खेलो इंडिया की ज़रूरत इसलिए पड़ी क्योंकि स्कूली खेलों को अपने घर की खेती के रूप मे इस्तेमाल करने वाली एसजीएफआई की काली करतूत एक-एक कर सामने आई।
स्कूल स्तर पर उम्र की धोखाधड़ी, अपने-अपनों को रेवड़ी बांटने और फर्जी विदेश दौरों के चलते यह फेडरेशन खासी बदनाम हो गई है। सरकार और खेल मंत्रालय के पास अनेक शिकायतें पहुंचीं और अब सरकार को सख्त कदम उठाने पड़ रहे हैं। लेकिन इतना तो तय है कि एडिलेड के अमान्य पेसिफिक खेलों की दो दुखद घटनाओं और घोटालों के कारण काफी किरकिरी हो चुकी है। देशभर के खिलाड़ी, कोच और माता-पिता चाहते हैं कि एसजीएफआई को समय रहते भंग कर दिया जाना चाहिए। वरना भविष्य में कुछ और हादसों का सामना करना पड़ सकता है। उत्तराखंड समाज के कुछ लोगों ने फुटबॉल खिलाड़ी नितिशा नेगी की दुखद मौत का ज़िम्मेदार एसजीएफआई को बताया और कहा कि स्कूली खेलों की आड़ में कुछ एक असरदार लोग सरकार और खेल मंत्रालय को गुमराह कर रहे हैं। यह आशंका व्यक्त की गई है कि मंत्रालय और साई असली गुनहगारों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
नितिशा के परिजन भी गुनहगारों को सज़ा की मांग कर रहे हैं। उधर खेल मंत्रालय के अनुसार खेलो इंडिया के तहत स्कूली खिलाड़ियों के लिए 17 साल के आयुवर्ग से विभिन्न खेलों के आयोजन किए जाएंगे। तत्पश्चात अन्य आयुवर्गों के आयोजनों को शुरू किया जाएगा। कालेज और विश्वविद्यालय स्तर के आयोजन भी इसी बैनर के नीचे किए जाने हैं। एसजीएफआई के भुक्तभोगी चाहते हैं कि सरकार खेलो इंडिया को तुरंत अमली जामा पहनाए और एसजीएफआई का फर्जीवाडा बंद करे। अधिकारी के अनुसार पेसिफिक खेलों की लूट और एक बालिका की मौत ने मंत्रालय को ठोस कदम उठाने के लिए बाध्य किया है। मंत्रालय चाहता है कि जल्दी से जल्दी स्कूल गेम्स फेडरेशन की काट खोज ली जाए। वरना देश की उभरती प्रतिभाएं बर्बाद होती रहेंगी।
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