क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले क्रिकेटर Sachin Tendulkar भले ही अब क्रिकेट नहीं खेलते हों लेकिन वह अपनी किसी भी बात से चर्चा में आ ही जाते हैं। सचिन ने रिटायरमेंट जरूर ले ली हो लेकिन उनकी लोकप्रियता में कोई भी कमी नहीं आई है।
उनकी लोकप्रियता आज भी वैसी ही है। एक बार फिर से सचिन ने कुछ ऐसा कर दिया है जिसे सुनकर उनके फैंस एक बार फिर से खुश हो जाएंगे।
इस युवा बल्लेबाज को Sachin Tendulkar ने दिया अपना बल्ला
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Sachin Tendulkar ने एक युवा क्रिकेटर को अपना बल्ला गिफ्ट कर दिया है। ऐसा करके एक बार फिर से सचिन ने अपने फैन्स का दिल जीत लिया है।
यह तो हम सब ही जानते हैं कि हर क्रिकेटर को अपने किट बैग से कितना प्यार होता है और वह किसी को भी अपना सामना गिफ्ट करना ये दूर की बात है वह शायद किसी के साथ शेयर भी नहीं करते हैं।
अर्जुन तेंदुलकर के सबसे अच्छे दोस्त हैं युवा किकेटर यशस्वी
Sachin Tendulkar अगर किसी क्रिकेटर को अपना बल्ला गिफ्ट करते हैं तो इसमें जरूर कुछ खास बात होगी। बता दें कि सचिन ने जिस क्रिकेटर को अपना बल्ला दिया है वह भारत के अंडर-19 टीम के खिलाड़ी यशस्वी जायसवाल हैं।
बात दें कि यशस्वी का श्रीलंका दौरे पर गई भारत की अंडर-19 में चयन हुआ है। बात दें कि इस टीम में अर्जुन तेंदुलकर भी हैं और यशस्वी के बहुत अच्छे दोस्त भी हैं। सचिन तेंदुलकर ने यशस्वी को अपना बैट गिफ्ट किया है और उनसे गुजारिश की है कि वह अपने पहले मैच की डेब्यू इस बल्ले से करें।
यशस्वी से मिलना चाहते थे क्रिकेट के भगवान Sachin Tendulkar
आपकी जानकारी के लिए बात दें कि भारत की अंडर-19 टीम 4 वनडे मैच खेलने के लिए श्रीलंका दौरे पर गई है। इस टीम में Sachin Tendulkar के बेटे अर्जुन भी हैं। बेंगलुरु में लगे नेशनल क्रिकेट एकेडमी के कैंप में यशस्वी और अर्जुन के साथ ही थे और वह दोनों ने एक ही कमरा शेयर भी किया था।
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यशस्वी जायसवाल का सपना था कि वह सचिन तेंदुलकर से एक बार मिलें। ऐसे में अर्जुन तेंदुलकर ने यशस्वी को अपने घर बांद्रा में ले गए। सचिन ने यशस्वी से उनके खेल के बारे में बात की और उन्हें कई सारे टिप्स भी दिए। उसके बाद सचिन ने अपना बल्ला यशस्वी को गिफ्ट कर दिया और उस पर संदेश भी लिखा।
यशस्वी मुंबई के आजाद मैदान पर दशहरा मेले पर गोलगप्पे बेचते थे
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यशस्वी जायसवाल ने इस साला कूच बिहार ट्रॉफी से 500 से भी ज्यादा रन बनाए हैं। यशस्वी जायसवाल बहुत गरीब घर से तालुक रखते हैं। यशस्वी दो भाईयों में सबसे छोटे हैं। यशस्वी उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में रहतेे हैं और उनके पिता भटोही में एक छोटी सी दुकान चलाते हैं।
यशस्वी ने छोटी सी उम्र में ही क्रिकेट खेलने का सपना देख लिया था और वह मुंबई आ गए थे। यशस्वी पहले एक डेयरी में काम करते थे और वहीं पर ही सोते थे। डेयरी मालिक ने बाद में यशस्वी को नौकरी से निकाल दिया था उस समय यशस्वी सिर्फ 11 साल के थे। यशस्वी ने दशहरा पर्व के दौरान आजाद मैदान पर गोलगप्पे तक बेचे हैं।