(पंजाब केसरी): फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के मामले में शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद द्वारा फरवरी 2020 में दंगों के पीछे कथित साजिश से संबंधित यूएपीए मामले में जमानत को लेकर एक याचिका को 19 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने प्रभावी निर्णय के लिए खालिद के साथ अभियोजन पक्ष को सभी प्रासंगिक दस्तावेज रिकॉर्ड पर रखने की अनुमति दे दी।
2020 के दंगों के मास्टरमाइंड होने का आरोप
निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज करने के खिलाफ खालिद की अपील पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि 19 मई को आगे की सुनवाई की जाएगी। इस बीच पक्षकारों को एक सप्ताह के भीतर अपील के प्रभावी निर्णय के लिए प्रासंगिक सभी दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर रखने की स्वतंत्रता है। खालिद, इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के मास्टरमाइंड होने के आरोप में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया। खालिद ने अपनी जमानत याचिका में दलील दी है कि उसके भाषण में हिंसा का आह्वान नहीं किया गया। इन्हीं भाषण के आधार पर खालिद के खिलाफ आरोप लगाए गए।
एनआरसी के विरोध के दौरान उनके कुछ कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित
इसी कड़ी में हाईकोर्ट ने शरजील इमाम की जमानत याचिका को 24 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। यह मामला संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध के दौरान उनके कुछ कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उन्हें जरूरी दस्तावेज पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।
मामला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए भाषण से संबंधित है
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने इमाम की ओर से पेश वकील को उत्तर प्रदेश में दर्ज एक अन्य एफआईआर से संबंधित दस्तावेज भी पेश करने को कहा। यह मामला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए भाषण से संबंधित है। इसके साथ ही बेंच को सूचित किया गया कि मामले में राजद्रोह का आरोप तय करने के खिलाफ इमाम की चुनौती को 24 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इमाम के वकील ने कहा कि वह जनवरी 2020 से हिरासत में हैं और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ भाषण मामले में उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी है कि उसमें हिंसा का कोई आह्वान नहीं था।
24 जनवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी
विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने याचिका का विरोध किया। अभियोजन पक्ष के अनुसार इमाम ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित भाषण दिए और उन्होंने असम और पूर्वोत्तर के शेष हिस्से को भारत से काट देने की धमकी दी। बता दें की निचली अदालत ने 24 जनवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।