दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकार द्वारा चलाए गए “देश का मेंटर” कार्यक्रम के बारे में शुक्रवार को कहा कि, “देश का मेंटर” कार्यक्रम में शामिल सभी मेंटर को बोर्ड में लेने से पहले उनका साइकोमीट्रिक मूल्यांकन किया जा रहा है। सिसोदिया ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा उठाई गई आपत्ति के जवाब में की। आयोग ने बच्चों के अज्ञात लोगों के संपर्क में आने और अपराध तथा दुर्व्यवहार की आशंका पर चिंता जताते हुए कार्यक्रम को स्थगित करने की मांग की थी। उपमुख्यमंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हमने कार्यक्रम की संरचना तय करते समय इन विषयों पर अत्यधिक ध्यान दिया है। कार्यक्रम के तहत, सभी महिला छात्रों को महिला सलाहकार आवंटित किया जाता है, जबकि सभी पुरुष छात्रों को पुरुष सलाहकार आवंटित किए जाते हैं।
माता-पिता की सहमति अनिवार्य कर दी गई है : उप मुख्यमंत्री
उप मुख्यमंत्री ने सम्मलेन में कहा, इस कार्यक्रम के तहत संरक्षक के आवंटन के लिए छात्रों के हित में माता-पिता की सहमति अनिवार्य कर दी गई है। उन्होंने कहा, उन सभी लोगों का साइकोमीट्रिक मूल्यांकन किया जा रहा है जो मेंटर के रूप में सहभागिता के लिए आगे आए हैं और केवल परीक्षा पास करने वालों को छात्र/छात्राएं आवंटित की जा रही हैं। ‘देश का मेंटर’ कार्यक्रम पिछले साल अक्टूबर महीने में शुरू किया गया था। इसके तहत नौवीं से 12वीं कक्षा के बच्चों को समर्पित ‘मेंटर’, उनके करियर एवं जीवन के संदर्भ में मार्गर्दशन देंगे। इस कार्यक्रम के ब्रांड एम्बेसडर बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद हैं। इसके तहत मेंटर को सरकारी स्कूल के 10 छात्रों को “गोद लेने” की आवश्यकता होती है। मेंटर की भूमिका अपने संबंधित क्षेत्रों में सफल नागरिकों द्वारा निभाई जाती है जो इन छात्रों का मार्गदर्शन करते हैं।
इस कार्यक्रम से बच्चों को कुछ खतरा हो सकता है : एनसीपीसीआर
इस मामले पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) का कहना है कि, इस कार्यक्रम से बच्चों को कुछ खतरों का सामना करना पड़ सकता है। पिछले महीने आयोग ने दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था और इस सप्ताह की शुरुआत में उसने फिर से पत्र लिखकर कहा था कि जो जवाब उसे मिला है उसमें उपयुक्त तथ्य मौजूद नहीं हैं।