नई दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह पिछले 15 दिनों के भीतर दो कार्यक्रमों में पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा का नाम खुले मंच से लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के सामने चुनौती पेश की है, उसने दिल्ली की राजनीति में हचलच मचा दी हैैै।
गत 10 दिसम्बर को अमित शाह ने पश्चिमी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सीएम केजरीवाल पर हमला बोलते हुए कहा था कि केजरीवाल जब चाहें जहां जाहें हमारे सांसद प्रवेश वर्मा से मुकाबला कर सकते हैं। चूंकि वह कार्यक्रम सांसद प्रवेश वर्मा की संसदीय क्षेत्र में ही था इसलिए अमित शाह के इस बयान पर लोगों ने बहुत गंभीरता नहीं दिखाई, लेकिन गुरुवार (26 दिसम्बर) को पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में जब दोबारा अमित शाह ने पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा का नाम केजरीवाल के लिए चुनौती के रूप में लिया तो लोगों के कान खड़े हो गए।
भाजपा के भीतर ही इस बात की चर्चा होने लगी कि पूर्वी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में जहां प्रवेश वर्मा मौजूद नहीं थे, उसके बाद भी उनका नाम अमित शाह द्वारा लिए जाने का कोई न कोई मतलब तो होगा ही? जबकि पूर्वी दिल्ली के इस कार्यक्रम में स्थानीय सांसद गौतम गंभीर और प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी मौजूद थे। इधर, इस बात का मतलब प्रवेश वर्मा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में निकाला जाने लगा।
शाम तक इस बात की चर्चा इतनी गर्म हो गई कि अपने आप को कथित रूप से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार मान बैठे नेताओं का गुस्सा भी सामने आने लगा। गौरतलब है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। दिल्ली में मुख्य रूप से तीन पार्टियां (आम आदमी पार्टी, भाजपा व कांग्रेस) आमने-सामने होंगी। इसमें आप पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा तो अरविंद केजरीवाल तय हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए होड़ मची हुई है।
सबसे अधिक चर्चा भाजपा में है, भाजपा में आधे दर्जन से अधिक नेता खुद को सीएम उम्मीदवार घोषित कराने में लगे हैं, लेकिन पिछले दो हफ्ते के भीतर ही गृहमंत्री अमित शाह ने जिस तरह दो कार्यक्रमों में सांसद प्रवेश वर्मा का नाम लिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के सामने चुनौती पेश की है। भाजपा ही नहीं बल्कि दिल्ली की राजनीतिक गलियारे में प्रवेश वर्मा का नाम सीएम उम्मीदवार के रूप में की जाने लगी है।