नई दिल्ली : सुरक्षा की मांग को लेकर हड़ताल पर गए सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने सोमवार को अपनी हड़ताल खत्म कर दी। अस्पताल प्रशासन के साथ देर शाम तक चली बैठक के दौरान प्रशासन ने तुरंत प्रभाव से रेजिडेंट्स डाक्टरों को 48 मार्शल सहित 100 गार्ड देने का आश्वासन दिया। साथ ही कहा कि जरूरत के आधार पर इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।
इस संबंध में यूनाइटेड रेजिडेंट एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन इंडिया के संयुक्त सचिव डॉ. सौरभ अवस्थी ने बताया कि डॉक्टरों की मांग पर सोमवार देर शाम सफदरजंग अस्पताल प्रशासन ने बैठक के लिए बुलाया था। करीब एक घंटे चली बैठक के दौरान सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बैठक के दौरान प्रशासन ने 48 मार्शल सहित 100 गार्ड देने का आश्वासन दिया।
साथ ही कहा कि जरूरत के आधार पर इनकी संख्या बढ़ाई भी जाएगी। उन्होंने कहा कि आपातकालीन सेवाओं की जगह पर इनकी खास जरूरत होती है। कई बार परिजन ऐसी जगहों पर भी मारपीट की घटना करते हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा कर्मी के अलावा आरोपियों पर कड़ी सजा की मांग रखी गई है। इस दिशा में कार्रवाई की जा रही है। वहीं हॉस्टल सहित अन्य की दिशा में भी सकारात्मक पहल करने का आश्वासन मिला है। बता दें सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट्स डाक्टरों के समर्थन में कई संगठन सामने आ गए थे।
सीनियर के सहारे चला अस्पताल
सोमवार को हड़ताल के कारण सफदरजंग अस्पताल सीनियर डाक्टरों के सहारे चल रहा है। हालत यह है कि ओपीडी में उपचार के लिए आ रहे मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है, साथ ही कई मरीज बिना उपचार के ही वापस लौट गए। मरीजों की माने तो सोमवार को डाक्टरों के रूम के बाहर काफी भीड़ लगी रही, देर दोपहर को मरीजों के उपचार के बीच ही कुछ डाक्टर उठकर चले गए जिस कारण उन्हें बिना इलाज के ही वापस जाना पड़ा।
दरअसल हड़ताल के कारण सोमवार को करीब 1600 रेजिडेंट्स डॉक्टर हड़ताल पर रहे। इससे अस्पताल की इमरजेंसी के अलावा ओपीडी सेवा भी प्रभावित हुई। बता दें कि सफदरजंग अस्पताल में रोजाना 10 हजार से ज्यादा मरीज आते हैं। इनमें ज्यादा संख्या अन्य राज्यों से आने वाले मरीजों की होती है।
निकाला गया मार्च
अस्पताल के रेजिडेंट्स डाक्टरों ने सोमवार को रेजिडेंट्स हॉस्टल से लेकर मेडिकल सुपरिटेंडेंट ऑफिस तक शांति मार्च निकाला। मार्च के दौरान उन्होंने मांग रखी कि अस्पताल में डॉक्टरों की कोई सुरक्षा नहीं, तीन साल से मार्शल्स की मांग कर रहे हैं। रेजिडेंट्स के लिए हॉस्टल की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं। हमारे रहने के लिए मात्र 80 कमरे हैं।
रेजिडेंट्स गंभीर बीमारी वाले पेशंट्स का इलाज करते हैं। ऐसे में उन्हें भी कई बीमारियां होने का खतरा रहता है। इसके लिए डॉक्टर्स को हेल्थ अलाउंस दिया जाता है लेकिन हमें हेल्थ अलाउंस नहीं दिया जा रहा। इसके अलावा रहने का पूरा इंतजाम नहीं होने के चलते रेजिडेंट डॉक्टर्स को बाहर रहना पड़ता है और ड्यूटी चेंजिंग के टाइम आने में वे लेट हो जाते हैं।