लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

मप्र में विधायकों के वेतन-भत्तों पर साढ़े पांच साल में 149 करोड़ खर्च : आरटीआई 

NULL

इंदौर : मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच विधायकों के वेतन-भत्तों पर सरकारी खजाने से बड़ी रकम खर्च किये जाने का खुलासा हुआ है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पता चला है कि पिछले साढ़े पांच वित्त वर्षों में राज्य विधानसभा के एक मनोनीत सदस्य समेत 231 विधायकों के वेतन-भत्तों पर कुल 149 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने सोमवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि उन्हें सूचना के अधिकार के तहत राज्य विधानसभा सचिवालय से यह अहम जानकारी मिली है। उनकी आरटीआई अर्जी पर तीन नवंबर को भेजे गये जवाब में अप्रैल 2013 से लेकर सितंबर 2018 तक की अवधि में विधायकों के वेतन-भत्तों पर सरकारी खर्च के आंकड़े जाहिर किये गये हैं।

आरटीआई के तहत मिले आंकड़ों के विश्लेषण पर यह अहम तथ्य सामने आता है कि पिछले साढ़े पांच वित्त वर्षों में विधायकों के वेतन के मुकाबले उनके भत्तों पर साढ़े तीन गुना से ज्यादा भुगतान किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक, आलोच्य अवधि में राज्य के 231 विधानसभा सदस्यों के वेतन पर 32.03 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि उन्हें मिलने वाले अलग-अलग भत्तों पर सरकारी खजाने से लगभग 117 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसमें यात्रा भत्ते के रूप में 34.03 करोड़ रुपये की बड़ी अदायगी शामिल है। आरटीआई से मिली जानकारी इस बात पर भी रोशनी डालती है कि राज्य के आम लोगों और सरकारी वेतन-भत्तों से विधायकों की कमाई में बड़ा फर्क है। मध्यप्रदेश सरकार के ही पिछले आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान प्रचलित दरों के आधार पर राज्य की प्रति व्यक्ति शुद्ध आय 79,907 रुपये आंकी गयी थी।

आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक, हिसाब लगाने पर पता चलता है कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान सभी 231 विधायकों को औसतन 14.48-14.48 लाख रुपये के वेतन-भत्तों का भुगतान किया गया। यानी आलोच्य अवधि में इस मद में हरेक विधायक की सरकारी कमाई सूबे की अनुमानित प्रति व्यक्ति आय के मुकाबले करीब 18 गुना ज्यादा थी। प्रदेश विधानसभा की वेबसाइट पर दी गयी जानकारी के मुताबिक, प्रत्येक विधायक को 30,000 रुपये प्रति माह की दर से वेतन दिया जाता है। इस सदन के प्रत्येक सदस्य को मासिक आधार पर 35,000 रुपये का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 10,000 रुपये का लेखन सामग्री तथा डाक भत्ता और 15,000 रुपये का कम्प्यूटर ऑपरेटर या अर्दली भत्ता दिया जाता है।

प्रत्येक विधायक को हर माह 10,000 रुपये का टेलीफोन भत्ता भी मिलता है, भले ही उसके निवास स्थान पर टेलीफोन कनेक्शन हो या न हो। इनके अलावा, हरेक विधायक को अन्य सरकारी सुविधाएं भी मिलती हैं। इस बीच, सियासी सुधारों के लिये काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की मध्यप्रदेश इकाई की संयोजक रोली शिवहरे ने मांग की कि विधायकों के वेतन-भत्तों के निर्धारण और इसकी नियमित समीक्षा के लिये कोई स्वतंत्र तथा पारदर्शी निकाय बनाया जाना चाहिये। उन्होंने कहा, सूबे में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जिन्हें दो वक्त की रोटी के लिये दिन-रात पसीना बहाना पड़ता है। लेकिन जनता के प्रतिनिधि कहलाने वाले विधायक अपने वेतन-भत्ते बढ़ाने के लिये विधानसभा में खुद ही विधेयक पेश करते हैं और चंद पलों में इसे स्वयं ही मंजूरी दे देते हैं। यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की भीषण विडम्बना है। प्रदेश विधानसभा में निर्वाचित सदस्यों की संख्या 230 है, जबकि इस सदन के एक सदस्य को एंग्लो-इंडियन समुदाय से मनोनीत किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

18 + twelve =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।