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‘फैक्ट्रियों के लाइसेंस में 2 करोड़ का भ्रष्टाचार’

बुधवार को उन्होंने खुद रंगे हाथ एक इंस्पेक्टर को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। इसके बाद इंस्पेक्टर और उनके बीच काफी बहस भी हुई।

नई दिल्ली : पूर्वी दिल्ली नगर निगम का फैक्ट्री लाइसेंस विभाग इस वक्त सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार में संलिप्त है। इस विभाग के अधिकारी इस कदर भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुके हैं कि वह रिश्वत लेकर फैक्ट्रियों के कागजों की जांच किए बगैर ही लाइसेंस जारी कर रहे हैं। यह आरोप पूर्वी दिल्ली नगर निगम के शाहदरा साउथ जोन के डिप्टी चेयरमैन श्याम सुंदर अग्रवाल ने लगाया है। 
उन्होंने कहा कि बुधवार को उन्होंने खुद रंगे हाथ एक इंस्पेक्टर को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। इसके बाद इंस्पेक्टर और उनके बीच काफी बहस भी हुई। आरोप है कि इंस्पेक्टर ने कहा था कि वह जो रिश्वत लेता है उसमें केवल उसका ही नहीं बल्कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम की आयुक्त का भी हिस्सा रहता है। उसके उपर भी दबाव रहता है तो वह रिश्वत लेता है। 
श्याम सुंदर अग्रवाल ने कहा कि फैक्ट्री लाइसेंस विभाग 2019 की फाइलों पर लाइसेंस के लिए (एनओसी) जारी कर दिया है। जबकि 2017-18 में लाइसेंस के लिए किए आवेदन पर आजतक स्वीकृति (एनओसी) जारी नहीं की गई। जिन लोगों ने एनओसी प्राप्ती के लिए रिश्वत नहीं दी है, उन्हें फैक्ट्री लाइसेंस विभाग ने एनओसी जारी नहीं किया। 2019 में अब तक 900 लाइसेंस जारी किए हैं। इस लाइसेंस प्रक्रिया में लाइसेंस विभाग ने करीब 2 करोड़ रुपए की रिश्वत ली है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाते रहे हैं अभियान
गौरतलब है कि, भाजपा पार्षद श्याम सुंदर अग्रवाल द्वारा यह पहला मामला नहीं है, जब किसी अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले श्याम सुंदर अग्रवाल ने वर्ष 2018 में स्वास्थ्य समिति का अध्यक्ष रहते हुए ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी, जिन्होंने एक्सपाइरी दवा मरीजों को दे दी थी। 
वहीं जब से उन्होंने शाहदरा साउथ जोन में डिप्टी चेयरमैन का पदभार संभाला है तब से वह पांच भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करवा चुके हैं। इनमें संपत्तिकर विभाग के इंस्पेक्टर एसके भाटी, बेलदार, मुकेश, दो सफाई कर्मचारी और एक डाटा ऑपरेटर शामिल है। आरोप है कि एसके भाटी संपत्तिकर के बजाय रिश्वत की वसूली करता था और बेलदार मुकेश एक दुकानदार से 2 लाख रुपए की रिश्वत लेकर उसकी दुकान पर्मानेंट कराने की लालच दे रहा था। 
वहीं जो दो सफाई कर्मचारी हैं, उन पर लगातार अनुपस्थिति के आरोप थे। इसके अलावा जो डाटा ऑपरेटर पर कार्रवाई की गई, उस पर विधाओं की एक फाइल के लिए पैसे लेने का आरोप था। वहीं बता दें कि, हाल ही पार्षद श्याम सुंदर अग्रवाल ने एक बहुत बड़े टेंडर घोटाले का पर्दाफाश किया था। इससे निगम को करीब 45 लाख रुपए की बचत हुई थी।

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