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गणतंत्र दिवस हिंसा के 3 आरोपियों को मिली जमानत, बैरिकेड तोड़ने के लिए किया गया था गिरफ्तार

दिल्ली की एक अदालत ने यह कहकर 3 लोगों को जमानत दे दी कि गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा में उनकी खास भागीदारी नहीं थी। इन लोगों को हिंसा में लिप्त होने, पुलिस कर्मियों पर हमला करने और गणतंत्र दिवस के दिन 3 कृषि कानूनों के विरोध में की गई ट्रैक्टर रैली के दौरान बैरिकेड तोड़ने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

दिल्ली की एक अदालत ने यह कहकर 3 लोगों को जमानत दे दी कि गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा में उनकी खास भागीदारी नहीं थी। इन लोगों को हिंसा में लिप्त होने, पुलिस कर्मियों पर हमला करने और गणतंत्र दिवस के दिन 3 कृषि कानूनों के विरोध में की गई ट्रैक्टर रैली के दौरान बैरिकेड तोड़ने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि “लवप्रीत सिंह, रमनदीप सिंह और जसविंदर सिंह गणतंत्र दिवस के दिन हिंसा के दौरान मोटरसाइकिल पर थे। उन्हें गिरफ्तार किया गया था और उनके मोबाइल फोन जांच के लिए जब्त किए गए हैं। चूंकि जांच अभी शुरुआती चरण में है, इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए।” मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) विनोद कुमार मीणा ने कहा कि पुलिस ने अपने जवाब में कहीं भी आरोपियों की भूमिका का उल्लेख नहीं किया है। इसके अलावा कोई मामला भी नहीं है जिसमें अभियुक्तों का इससे पुराना संबंध रहा हो।
अदालत ने यह भी देखा कि हिंसा या बैरिकेडिंग को तोड़ने में भी आरोपियों की कोई विशिष्ट भागीदारी नहीं है। मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने इन तीनों को जमानत देते हुए कहा, “मोबाइल फोन जब्त करने के अलावा अन्य कोई बरामदगी भी नहीं की गई है। मोबाइल फोन भी एफएसएल को भेजे जा चुके हैं। ऐसे में आरोपियों को हिरासत में रखने का कोई कारण नहीं है।”
कोर्ट ने आरोपियों को 20,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है और कहा कि वे अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे। साथ ही गवाहों या शिकायतकर्ता को धमकाने या भविष्य में किसी अन्य अपराध में शामिल नहीं होंगे। अधिवक्ता अमरवीर सिंह भुल्लर ने कहा कि वे तीनों मोटर साइकिल पर थे और लंगर सेवा में शामिल थे। वे हिंसा के किसी भी मामले में शामिल नहीं थे। तीनों को मामले में झूठा फंसाया गया है और उनके खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं लगाए गए हैं।
बता दें कि 26 जनवरी को 3 कृषि कानूनों के विरोध में निकाली गई ट्रैक्टर रैली के दौरान प्रदर्शनकारी किसान पुलिस से भिड़ गए थे। झड़प के दौरान, प्रदर्शनकारियों का एक वर्ग लाल किले में घुस गया था और उसने सिखों का झंडा फहरा दिया था। इस मामले को लेकर पुलिस ने अब तक 127 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं हिंसा के मामले में केवल 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जो अब जमानत पर बाहर हैं।

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