झारखंड से काम करने के लिए लाई गईं तीन नाबालिग लड़कियों को दिल्ली महिला आयोग ने स्वरूप नगर इलाके से मानव तस्करी के चंगुल से छुड़ाया। आयोग के हेल्पलाइन नंबर पर अज्ञात शख्स ने अपने क्षेत्र में चल रही संदिग्ध गतिविधियों के बारे में सूचना दी थी, जिसके बाद ये कार्रवाई की गई।
व्यक्ति ने बताया कि, उसके घर के पास ही एक घर में नाबालिग लड़कियों को लाया जाता है और वहां से उन्हें बेचा जाता है। आयोग की टीम पुलिस के साथ शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए पते पर पहुंची और पाया कि कुछ लोग वहां बैठकर शराब पी रहे थे और घर में 3 लड़कियां भी मौजूद थी।
टीम को देखकर लड़कियां डर गईं और भागने का प्रयास करने लगीं। टीम ने लड़कियों की काउंसलिंग की और उनसे बात करने पर पता लगा कि तीनों लड़कियां झारखंड की मूल निवासी हैं और अलग अलग कारणों से दिल्ली लाई गयीं थी। सभी बच्चियों और घर में उस वक्त मौजूद लोगों को स्वरूप नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया।
लड़कियों ने बताया कि उन्हें झारखंड से दिल्ली काम के बहाने लाया गया था। छुड़ाए जाने के बाद लड़कियों का मेडिकल करवाया गया और उसके बाद उन्हें शेल्टर होम में रखा गया। लड़कियों को उसके बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसपर समिति ने पुलिस को मामले में एफआईआर करने और संबंधित एसएचओ से एटीआर भी मांगी है।
मामले में पुलिस का रवैया काफी असंतोषजनक रहा। पुलिस के इस मामले में एफआईआर न दर्ज करने के कारण दिल्ली महिला आयोग ने भी पुलिस को नोटिस भेजा है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, दिल्ली महिला आयोग की हेल्पलाइन दिल्ली की महिलाओं की निष्काम भाव से सेवा कर रही है। बड़ा दुख होता है जब पुलिस ऐसे गंभीर मामलों में भी समय पे एफआईआर नही करती है।
दिल्ली में चल रहे मानव तस्करी के हजारों रैकेट पर हमने चोट की है। अब तक हजारों बच्चियों को इन रैकेट्स से हमने मुक्त करवाया है। हम इसी तरह आगे भी काम करते रहेंगे। साथ ही देश मे मानव तस्करी को रोकने के लिए सभी सरकारों को एक साथ आने और एक साझा प्रयास करने की आवश्यकता है।