नई दिल्ली : भारत में 5.45 लाख गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है। इस संकल्प को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शुरू किया गया था। जनभागीदारी को लेकर शुरू की गई सरकारी योजना आज राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले चुकी है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ आज बच्चे-बच्चे की जुबान पर बस चुका है। स्वच्छता को लेकर कभी देशभर में लोग जागरूक हो सकते हैं, ऐसा सोचने में अजीब सा लगता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी की जयंती पर सबसे पहले दो अक्टूबर को इस मुहिम को स्वयं झाडू लगाकर शुरू किया था। वे स्वयं मंदिर मार्ग थाने पहुंच गए थे और खुद सफाई करने लगे थे।
इसके बाद देशभर में सफाई को लेकर जागरूकता आ गई। गली-मोहल्ले में नगर निगम का कूड़ा उठाने वाला ऑटो टिप्पर हो या फिर नगर निगम का सफाई अभियान हो। हर जगह स्वच्छ भारत अभियान को लेकर होड़ सी छिड़ गई। ऑटो टिप्पर पर सफाई को लेकर चलने वाला गीत भी खूब चर्चा में बना हुआ है। देशभर के अलग-अलग राज्यों के नगर निगम शहर को साफ करने में अव्वल आने का अभियान चला रहे हैं। भोपाल की तर्ज पर दिल्ली में भी रात को सफाई अभियान चलाने का नगर निगमों द्वारा बेड़ा उठाया गया।
आज देशभर में यह स्थिति हो चुकी है कि स्कूलों में भी बच्चों को सफाई का पाठ पढ़ाया जा रहा है। बच्चे जागरूक होकर अपने घर में माता-पिता और दूसरे सदस्यों को गंदगी न करने की सलाह देते हैं। सबसे बड़ी लोकप्रियता यह रही है कि टीवी पर विज्ञापन के माध्यम खुले में शौच न करने को लेकर खूब प्रचार किया गया। लघु नाटकों के माध्यम से भी सरकार ने लोगों को खुले में शौच न जाने के लिए प्रेरित किया। इसी के चलते देश के 5.45 गांवों के लोगों ने खुले में शौच जाना छोड़ दिया।