नई दिल्ली : दिल्ली-एनसीआर में खाली सड़कों पर हाथ में फोन लेकर चलना खतरे से खाली नहीं। झपटमारों की गिद्ध जैसी निगाहें हाथ में फोन लेकर चलने वालों पर गड़ी रहती हैं। झपटमारी संगीन अपराध की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए बदमाश भी इसका भरपूर फायदा उठाते हुए आएदिन झपटमारी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। यदि चोरी किया हुआ फोन देश में कहीं भी चलाया जाता है तो पुलिस टेक्निकल सर्विलांस की मदद से आरोपी को दबोच लेती है। इसका इन बदमाशों ने तोड़ निकालते हुए चोरी के उन मोबाइल फोनों को अब विदेशों में बेचना शुरू कर दिया है।
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की इंटर स्टेट सेल ने ऐसे ही एक गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से करीब 60 लाख रुपए की कीमत के मोबाइल फोन बरामद किए हैं जिन्हें वे नेपाल भेजने वाले थे। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों की पहचान गिरोह के सरगना नरेश कुमार (30), सहयोगी मुकेश कुमार (38), नरेश कुमार (27), राजन उर्फ अजीत (28), राम सिंह (58), गोपाल पाठक (31) और रोहित उर्फ काके (23) के रूप में हुई है। पकड़े गए आरोपियों में राम सिंह नेपाल का रहने वाला है। राम सिंह ही चोरी के मोबाइल को बस से नेपाल के रिसीवरों के पास भेजता है। वहां से मोबाइल के रिसीवर हवाला व अन्य गैर कानूनी तरीकों से गैंग लीडर नरेश को रुपए भेजते हैं।
अपराध शाखा इंटर स्टेट सेल के पुलिस उपायुक्त राजेश देव ने बताया कि गत 25 मई को सेक्टर-9 फरीदाबाद निवासी गुंजन नामक युवती से स्कूटी सवार युवक ने कनॉट प्लेस में मोबाइल झपट लिया था। आरोपी रोहित उर्फ काके ने बताया कि वह चोरी के मोबाइल अपने साथियों को बेच देता है। वह आगे नरेश को बेचता है, नरेश इन्हें नेपाल के रहने वाले राम सिंह को बेचता है।
इस चौकाने वाली सूचना के बाद तुरंत एसीपी जसबीर सिंह के नेतृत्व में इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह की देखरेख में एसआई सुरेंद्र, एएसआई संजय, यशपाल, सुरेंद्र आदि ने दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर नरेश कुमार, मुकेश, नरेश, राजन, राम सिंह, गोपाल पाठक को दबोच लिया। पुलिस को आरोपियों के पास से कुल 311 मोबाइल फोन बरामद हुए हैं जिनकी कीमत 60 लाख रुपए है। अधिकर आई-फोन हैं।
एक हजार का फायदा…
गिरोह के सरगना नरेश ने बताया कि मुकेश, नरेश कुमार, राजन उर्फ अजीत व गोपाल पाठक झपटमारों से मोबाइल खरीदकर नरेश को बेचते थे। नेपाल से इन मोबाइल के बदले नरेश को मोटी रकम मिलती थी। हर एक मोबाइल पर नरेश को एक हजार रुपए का फायदा होता था।
नेपाल में आई फोन की डिमांड
नरेश ने पुलिस को बताया कि नेपाल में आई फोन की बड़ी डिमांड है। वहां के मोबाइल रिसीवर आई फोन के अच्छे पैसे भी देते हैं। आई फोन को चोरी क बाद भारत में चला भी नहीं सकते। क्योंकि इस के आईएमईआई नंबर को क्रैक नहीं किया जा सकता। पुलिस से बचने के लिए चोरी के आई फोन्स को नेपाल में ऊंचे दाम पर बेचना मुनाफे का सौदा है। नरेश एक सप्ताह में 150 से 200 मोबाइल फोन नेपाल भेज देता था। वह पिछले डेढ़ दो सालों से इस धंधे को अंजाम दे रहा है।