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छत्तीसगढ़ में 62 नक्सलियों ने पुलिस के सामने किया आत्मसमर्पण

शुक्ला ने बताया, समर्पित नक्सलियों से पूछताछ के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि दबाव व सक्रिय नक्सली सदस्यों की लगातार गिरफ्तारी से नक्सली संगठन कमजोर हुआ है।

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में आज मंगलवार को 62 नक्सलियों ने समर्पण कर दिया। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विवेकानंद सिन्हा, पुलिस अधीक्षक नाराणपुर जितेन्द्र शुक्ला के समक्ष 51 सशस्त्र नक्सलियों और 11 निहत्थे नक्सलियों ने समर्पण किया। इनमें से पांच नक्सलियों के खिलाफ न्यायालय से स्थायी वारंट जारी है।

पुलिस अधीक्षक कार्यालय में हुई पत्रकारवार्ता में आईजी और नारायणपुर के एसपी ने समर्पित नक्सलियों को कहा कि अपने और साथियों को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास करें। सभी का समर्पण राष्ट्रहित में है। समर्पित नक्सलियों ने कहा, ‘हमने अपने जीवन का बहुमूल्य समय नक्सलियों की खोखली नीतियों में देकर बर्बाद कर दिया।’

नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला ने बताया, ‘सभी समर्पित नक्सली प्रतिबंधित नक्सली संगठन की कुतूल एरिया कमेटी के अन्तर्गत तुमेरादि जनताना सरकार में विगत नौ वर्षों से सक्रिय थे। तुमेरादि जनताना सरकार नक्सली गतिविधियों के ²ष्टिकोण से अतिसंवेदनशील व हिंसक श्रेणी में आता है। इसके अंतर्गत ग्राम तुमेरादि, तुडको, गुमचूर, ताडोबेडा आता है।’

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शुक्ला ने बताया, ‘समर्पित नक्सलियों से पूछताछ के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि दबाव व सक्रिय नक्सली सदस्यों की लगातार गिरफ्तारी व समर्पण से नक्सली संगठन कमजोर हुआ है। क्षेत्र में सुरक्षाबलों के लगातार नक्सल विरोधी अभियान से नक्सलियों का जनाधार कमजोर होने लगा है। इस वजह से कई नक्सली सदस्य संगठन छोड़कर अपने गांव वापस आ गए हैं और मौका मिलने पर समर्पण भी कर सकते हैं।’

शुक्ला ने बताया, ‘पूछताछ में यह भी बात सामने आई कि सोनपुर में शिविर स्थापित होने से पूर्व क्षेत्र में सक्रिय बड़े नक्सली कमांडरों -रनिता उर्फ जयमति (सचिव, कुतूल एरिया कमेटी), रीना कोहकामेटा (एलओएस कमांडर कोहकामेटा), जयलाल उर्फ अनत (परलकोट एलओएस कमांडर)- का क्षेत्र में आना-जाना था। लेकिन सोनपुर में नया शिविर स्थापित होने तथा सुरक्षाबलों की ओर से लगातार क्षेत्र में चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान से बड़े नक्सली नेताओं की आवाजाही में कमी आई है। आत्मसमर्पित नक्सलियों का कहना है कि वे नक्सलियों के लिए डर के कारण काम करते थे।’

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