IIT दिल्ली की एक प्रोफेसर ने दिया हिंदुत्व को लेकर बयान, VIDEO वायरल होने के बाद बढ़ा विवाद

तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने समेत कई नेताओं के विवादित बयान का सिलसिला थमा नहीं था कि अब आईआईटी दिल्ली की एक प्रोफेसर ने भी हिंदुत्व को लेकर आपत्तिजनक बातें कही हैं।आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर ने कहा है कि भविष्य का भारत हिंदुत्वविहीन होगा।
IIT दिल्ली की एक प्रोफेसर ने दिया हिंदुत्व को लेकर बयान, VIDEO वायरल होने के बाद बढ़ा विवाद
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तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने समेत कई नेताओं के विवादित बयान का सिलसिला थमा नहीं था कि अब आईआईटी दिल्ली की एक प्रोफेसर ने भी हिंदुत्व को लेकर आपत्तिजनक बातें कही हैं। आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर ने कहा है कि भविष्य का भारत हिंदुत्वविहीन होगा। बता दें प्रोफेसर का वीडियो वायरल होने के बाद इस पर विवाद बढ़ गया है।
जी20 से जुड़े एक चर्चा के दौरान यह विवादित बातें कहीं
आपको बता दें कि आईआईटी दिल्ली में सोशल साइंस डिपार्टमेंट की असोसिएट प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी ने जी20 से जुड़े एक चर्चा के दौरान यह विवादित बातें कहीं। उन्होंने फ्रांस-24 से कहा, 'दो भारत हैं, एक भारत पुराना है, जिसमें बहुसंख्यक आबादी को दबाने वाली जातिवादी व्यवस्था है। फिर एक भविष्य का भारत है जिसमें जातिवादी शोषण और हिंदुत्व नहीं होगा। यह वह भारत है जिसे अभी तक प्रस्तुत नहीं किया गया लेकिन इंतजार कर रहा है, दुनिया को अपना रूप दिखाने की चाहत है।'
हिंदू धर्म के रूप में एक फर्जी प्रतिनिधित्व से जटिल 
दरअसल, फ्रांस-24 के पत्रकार ने जब भारत की आर्थिक प्रगति की बात की और कहा कि एक रिक्शाचलाने वाले को भी टेक्नॉलजी विकास का लाभ मिला है, तो द्विवेदी ने कहा कि इस तरह की बातें गढ़ी हैं। उन्होंने कहा, 'भारत 3000 सालों के जातिगत नस्लीय व्यवस्था से बना है, जहां ऊंची जाति के 10 फीसदी लोग 90 फीसदी शक्तिशाली पदों पर काबिज रहे यह आज भी जारी है। 'जब यह पूछा गया कि क्या इस तरह की असमानता G20 देशों नहीं है, द्विवेदी ने कहा भारत में यह नस्लीय उत्पीड़न, बहिष्कार और हिंदू धर्म के रूप में एक फर्जी प्रतिनिधित्व से जटिल हैं।
 जीडीपी दुनिया में कहीं भी प्रगति का एकमात्र पैमाना नहीं है
जी20 अमीर और गरीब देशों का सम्मलेन है। उन्होंने कहा कि जीडीपी दुनिया में कहीं भी प्रगति का एकमात्र पैमाना नहीं है। अमीर देशों में भी गरीबी हो सकती है। उन्होंने कहा कि एक तरफ भारत में पैतृक शक्ति, सम्मान और समृद्धि है और दूसरी तरफ जन्म आधारित भेदभाव और गरीबी है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने जो बातें कहीं वह व्यक्तिगत रूप से कहीं इसका संस्थान से कुछ लेनादेना नहीं है। 

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