नई दिल्ली : जेएनयू में छात्रावास शुल्क वृद्धि का मामला अब पूरी तरह से चरम पर है। इसी क्रम में गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के नेतृत्व में मंडी हाउस से लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) दफ्तर तक मार्च किया। मार्च में डीयू सहित जामिया के विद्यार्थी भी शामिल हुए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदर्शन के दौरान संसद मार्ग के बाहर दिल्ली पुलिस ने तीन दिव्यांग छात्रों सहित कुल 160 विद्यार्थियों को हिरासत में लिया। प्रदर्शन के दौरान विद्यार्थियों ने फीस वृद्धि के खिलाफ जमकर नारे लगाए। प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों का कहना है कि हम बढ़ी फीस को पूर्णतया वापस लेने, नया हॉस्टल मैनुअल रिजेक्ट करने, कक्षाओं को शुरू करने आदि मांगों को लेकर यहां पहुंचे हैं। साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति को भी खत्म करने की मांग करते हैं।
इस दौरान एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा कि हमारी मांग है कि फीस पूरी तरह से वापस हो, इससे कमतर हमें कोई निर्णय स्वीकार नहीं। आज छात्रों के प्रदर्शन ने फीस वापसी की लड़ाई को और अधिक मजबूत किया है। हम अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों में हो रही फीस वृद्धि के निर्णय के खिलाफ हैं। साथ ही संबंधित प्रशासनों को इस प्रकार के छात्र विरोधी निर्णय लेना बंद करना होगा।
उन्होंने आरोप लगाया है कि चूंकि जेएनयू छात्र संघ ने आंदोलन की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास किया। अनावश्यक रूप से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया इसलिए हमने आंदोलन अलग किया। हम छात्रों की हक की लड़ाई को जरूर जीतेंगे।
लेफ्ट का चेहरा हुआ उजागर…
एबीवीपी जेएनयू के इकाई अध्यक्ष दुर्गेश कुमार ने कहा कि जेएनयू छात्र संघ ने आम छात्रों के आंदोलन को जिस प्रकार उच्च स्तरीय समिति के सामने गिरवी रख दिया। इससे लेफ्ट का असली चेहरा उजागर हो गया है। लेफ्ट को अपने राजनीतिक आकाओं के इशारों पर आम छात्रों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ को बंद करना होगा।
हम यह मांग करते हैं कि शीघ्र सारी मांगों को पूरा किया जाए जिससे हमारी कक्षाएं शुरू हों। वहीं मनीष जांगिड़ ने कहा कि जब जेएनयूएसयू ने प्रशासन के समक्ष घुटने टेक दिए, तब हमने जेएनयूएसयू से अलग होकर केवल एक दिन में यह बड़ा प्रदर्शन किया।