दिल्ली के तीन नगर निगमों को फिर से एक करने संबंधी केंद्र सरकार के फैसले से एमसीडी चुनावों लम्बे वक़्त तक के लिए टल सकते हैं। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 को लोकसभा में पेश किया। विधेयक में वाडरें की अधिकतम संख्या 250 करने का प्रावधान है, इसके बाद वाडरें को नए सिरे से तय करना होगा जिसमें अभी समय लगेगा जिसके चलते चुनाव में भी करीब 18 महीने तक की देरी हो सकती है।
दिल्ली में मुख्य चुनाव से लेकर राज्य चुनाव आयुक्त रहे राकेश मेहता ने न्यूज़ एजेन्सी को बताया कि, परिसीमन की प्रक्रिया करने में 16 महीने से 18 महीने तक लग सकते हैं। हालांकि इसके खिलाफ लोग कोर्ट में जा सकते हैं, फिर फैसला आने के बाद ही चुनाव हो सकेगा।
दिल्ली में फिलहाल कुल 272 वार्ड हैं। वहीं वार्ड का परिसीमन नई जनगणना के आधार पर होगा, इसमें 50 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। अब फिर से वॉडरें की सीमा और अनुसूचित जाति व महिलाओं के लिए सीटों आरक्षित को करने के लिए परिसीमन किया जाएगा। वहीं अभी 2021 की जनगणना पूरी नहीं हुई है।
दिल्ली के तीनों निगम एक होने के बाद जब तक चुनाव नहीं हो जाते तब तक निगम में एक विशेष अधिकारी नियुक्त करने का प्रावधान भी किया गया है। साथ ही दिल्ली में तीनों निगमों का कार्यकाल 18 मई को पूरा होना है। निगम एक होने के बाद कुछ चीजों में बदलाव जरूर होगा, तीन चीफ इंजीनियर की जगह अब एक चीफ इंजीनियर होगा और इसका चयन उनके अनुभव के अनुसार होगा।
एकीकृत निगम के आयुक्त रहे केएस मेहरा ने बताया कि, एकीकरण की प्रिक्रिया में ज्यादा कुछ नहीं है, तीन निगमों को पहले की तरह करना है। अब इसके बाद तीनों निगमों में किसी डिपार्टमेंट के तीन चीफ इंजीनियर हुए तो उनमें से अब जो वरिष्ठ होगा, उनको एक निगम का चीफ इंजीनियर बना दिया जाएगा बाकी उनके अधीन काम करेंगे।
तय होगी वार्ड की संख्या
वार्ड की संख्या में जो बदलाव होगा उसमें परिसीमन करना पड़ेगा, अब फिर से वार्ड की बाउंड्री खींचनी पड़ेगी, इसमें समय लगेगा। हालांकि कितने वार्ड रहेंगे यह अभी तक तय नहीं हुआ है। यदि 10 कम किए तो जल्दी हो जाएगा वहीं इससे और कम हुए तो ज्यादा समय लगेगा।
उन्होंने आगे कहा कि, निगम एक करने से फायदा है। दिल्ली की भौगोलिक स्थिति में कुछ कॉलोनी तो ठीक हैं लेकिन कुछ में रिसोर्सेज की कमी है। इसलिए उन कॉलोनियों से रेवेन्यू जनरेट कम होता है। लेकिन एक होने से यह समस्या दूर हो जाती है। क्योंकि पूरी दिल्ली में निगम की पॉलिसी एक हो जाएंगी।
इसके अलावा निगम को एक करने का फायदा तभी होगा जब निगम के अंदर ज्यादा रेवेन्यू जनरेट करने की नीतियां एक बराबर होंगी और इन्हें बढ़ाना भी पड़ेगा साथ ही सभी पर लागू होगा। इसके साथ ही निगम कर्मियों को अब तनख्वाह भी समय पर मिल सकेगी।