दिल्ली : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सर्वर हैकिंग मामले की जांच आधिकारिक तौर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन (IFSO) यूनिट कर रही है। हैक किए गए सर्वर को जांच के लिए सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) भेजा दिया गया है। ताकि पता चल सके कि सर्वर को कहा से हैक किया गया? और इसका सोर्स क्या है?
सेंट्रल फोरेंसिक लैब की दिल्ली और अहमदाबाद की टीम हैक्ड सर्वर की जांच कर रही है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट जिसे पहले साइपेड कहा जाता था वो भी अपने एक्सपर्ट्स के साथ एक पेररल जांच कर रहे हैं। फिलहाल अभी तक हैकिंग के सोर्स की जानकारी निकलकर सामने नहीं आई है।
खतरे में आ गया था 3-4 करोड़ मरीजों का डेटा
दिल्ली एम्स के सर्वर हैकिंग का पता 23 नवंबर की सुबह चला था। इस हैकिंग के बाद लगभग 3-4 करोड़ मरीजों का डेटा खतरे में आ गया था। सर्वर ठप होने के कारण सभी काम मैनुअल किए गए। दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस इकाई ने 25 नवंबर को जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया था।
8वें दिन रिकवर हुआ डाटा
लगभग 8 दिन तक डाउन रहे सर्वर पर ई-अस्पताल का डेटा बुधवार देर शाम बहाल हो गया। एम्स ने कहा कि पूर्ण सेवाओं को बहाल करने से पहले नेटवर्क को साफ किया जा रहा है। एम्स ने एक बयान में कहा, सेवाओं को बहाल करने से पहले नेटवर्क को साफ किया जा रहा है। अस्पताल सेवाओं के लिए डेटा की मात्रा और बड़ी संख्या में सर्वर/कंप्यूटर के कारण प्रक्रिया में कुछ समय लग रहा है। साइबर सुरक्षा के लिए उपाय किए जा रहे हैं। साइबर सुरक्षा के लिए उपाय किए जा रहे हैं।