नई दिल्ली: मरीजों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए देश के सबसे बड़े और अत्याधुनिक चिकित्सकीय संस्थान एम्स की क्षमता दोगुनी की जा सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी योजना तैयार कर ली है। जिसके तहत दिसंबर 2018 तक इमरजेंसी, सीसीयू, आईसीयू, आॅर्थो, सर्जरी, सामान्य वार्ड्स, वीआईपी विंग, कैंसर, केंद्रीय भर्ती कार्यालय, आईआरसीएच, पेशेंट ओपीडी ब्लाॅक, इनडोर आउटडोर ब्लाक आदि का विस्तार किया जाएगा है। इस समयावधी तक अन्य राज्यों में बने छह नए एम्स की गुणवत्ता भी दिल्ली के जैसा करने पर जोर दिया जाएगा।
स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डाॅ. जगदीश प्रसाद के अनुसार दिल्ली एम्स के बेडों की संख्या बढ़ाया जाएगा। मरीजों की संख्या के बोझ के मामले में सफदरजंग और राम मनोहर लोहिया जैसे अस्पतालों की स्थिति भी एम्स जैसी ही है। सरकार इनके बोझ तथा गुणवत्ता को संतुलित करने के प्रयास कर रही है। राज्यों में स्थित एम्स की गुणवत्ता भी दिल्ली जैसी करने के लिए पीपीपी मॉडल पर विचार कर रही है। उनका कहना है कि निजी अस्पतालों की मनमानी पर नियंत्रण रखने के लिए केंद्र के क्लीनिकल प्रतिष्ठान कानून को अप्रूव करना होगा। सरकार लोगों की सुविधा के लिए स्वास्थ्य बीमा और स्वास्थ्य आासन पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि तीन हजार जन औषधि केंद्र बनाने का प्रस्ताव है जहां जेनिरक दवाएं मिलेंगी।
डॉ. प्रसाद की मानें तो देश में 17 नए एम्स और 20 कैंसर संस्थानों की स्थापना की प्रक्रिया अन्तिम चरण में हैं। पूरी तरह चालू होने के बाद इन नए एम्स संस्थानों में 16,300 से ज्यादा अतिरिक्त बिस्तर उपलब्ध होंगे। इसके अलावा 50 ‘टर्शियरी कैंसर केयर सेंटर’ भी स्थापित किए जा रहे हैं। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट, झज्जर (710 बिस्तर) और चित्तरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट, कोलकाता के दूसरे परिसर की भी स्थापना की जा रही है। इसके अलावा देश के 70 मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉकों की स्थापना की जा रही है। साथ ही 58 जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में बदला जाना है।
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