नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना नेशनल एयरोनॉटिकल लेबोरेट्री (एनएएल) से 15 हल्के परिवहन विमान सारस एमके 2 खरीदेगी। एनएएल द्वारा विकसित इन विमानों के इस संस्करण का अभी परीक्षण किया जा रहा है। आज भी बेंगलुरू में इसका सफल परीक्षण किया गया। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अनुसार इस मौके पर वायु सेना ने 15 विमान खरीदने की प्रतिबद्धता जतायी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन के साथ एनएएल तथा सीएसआईआर के वरिष्ठ अधिकारी भी परीक्षण के समय मौजूद थे। एनएएल सीएसआईआर की प्रयोगशाला है।
परीक्षण के दौरान वायु सेना की ओर से वहां मौजूद एयर वाइस मार्शल संदीप सिंह ने कहा ‘भारतीय वायु सेना स्वदेश में डिजाइन किये गये और निर्मित पहले हल्के परिवहन विमान के परीक्षण और उसके बाद उसे अपने बेड़ में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। वह इस कार्यक्रम को पूरा समर्थन दे रही है तथा सारस के नये संस्करण के डिजायन को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जायेगा।’ सीएसआईआर सूत्रों ने बताया कि वायु सेना ने 15 से 20 विमानों की खरीद के लिए प्रतिबद्धता जतायी है और जल्द ही इनके लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये जायेंगे। सारस के नये संस्करण के कुल 20 परीक्षण होने हैं। इसका वाणिज्यिक मॉडल इस साल के जून-जुलाई तक तैयार होने की उम्मीद है।
परीक्षण मॉडल में 14 सीटें हैं जबकि वाणिज्यिक मॉडल में 19 सीटें होंगी। इसका इस्तेमाल यात्रियों और सामान दोनों के परिवहन के लिए किया जा सकता है। विमान का परीक्षण वायु सेना के एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम टेसि्टंग इस्टेब्लिशमेंट द्वारा किया जा रहा है। इस उड़न दल में इस्टेब्लिशमेंट के विंग कमांडर यू.पी. सिंह, ग्रुप कैप्टन आर.वी. पाणिकर और ग्रुप कैप्टन के.पी। भट शामिल थे। पहला परीक्षण 24 जनवरी को किया गया था। विमान के विकास एवं प्रमाणन पर कुल 600 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। डॉ हर्षवर्द्धन ने बताया कि सारस इसी श्रेणी के आयातित विमानों की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत सस्ता होगा। आयातित विमानों की कीमत 60 से 70 करोड़ रुपये होती है जबकि 70 प्रतिशत स्वदेशी कलपुर्जों वाले सारस की कीमत 40 से 45 करोड़ रुपये होगी।
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