दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को उन कई पायलटों द्वारा दायर एक अर्जी पर एअर इंडिया से जवाब मांगा जिसमें उन्होंने अपनी सेवाएं समाप्त करने के राष्ट्रीय एयरलाइन के निर्णय को चुनौती दी है। एअर इंडिया का यह फैसला 13 अगस्त से प्रभावी है।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने एअर इंडिया को नोटिस जारी किया और उन चार पायलटों की ताजा अर्जियों पर जवाब मांगा जिन्होंने एयरलाइन के 13 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है। एअर इंडिया ने इससे पहले 40 से अधिक अन्य पायलटों की सेवाएं समाप्त की थीं।
कोर्ट ने साथ ही एअर इंडिया से मौखिक रूप से कहा कि वह चार पायलटों को पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज जमा करने के लिए कहे जाने संबंधी कदम बुधवार तक स्थगित रखे। उस दिन एअर इंडिया के अन्य पायलटों की, पहले की इसी तरह की अर्जियों पर सुनवायी होगी।
पूर्व की अर्जियां उन पायलटों द्वारा दायर की गई हैं, जिन्होंने इस्तीफा दे दिया था लेकिन छह महीने की नोटिस की अवधि की समाप्त होने से पहले अपना इस्तीफा वापस ले लिया था। इन पायलटों ने एअर इंडिया को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वह उनके इस्तीफे स्वीकर नहीं करे। एअर इंडिया ने गत 13 अगस्त को उन सभी पायलटों को सेवा समाप्ति के पत्र जारी किये थे जिन्होंने पूर्व में इस्तीफा दे दिया था लेकिन इस्तीफों को वापस ले लिया था।
अधिवक्ता रवि रघुनाथ के जरिये से दायर ताजा अर्जियों में एअर इंडिया के गत 13 अगस्त के सेवा समाप्ति पत्र को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने ताजा अर्जियों को 17 सितम्बर को सुनवायी के लिए सूचीबद्ध किया। इससे पहले अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले कुछ पायलटों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता निलांश गौर ने कहा कि उन्होंने ने भी 13 अगस्त के आदेश को चुनौती देते हुए संशोधित अर्जियां दायर की हैं और इस पर सुनवायी बुधवार को होगी।
गौर के जरिये दायर अर्जियों में पायलटों ने दलील दी है कि उन्होंने शुरूआत में इस्तीफे एअर इंडिया द्वारा वेतन एवं भत्तों के भुगतान में देरी को लेकर दिये थे। उन्होंने यह भी दलील दी कि न तो उनकी नोटिस की अवधि कम की गई और न ही इस्तीफे प्राप्त होने के बाद उन्हें कोई अनापत्तिपत्र ही जारी किये गए। उन्होंने साथ यह भी दलील दी कि इस्तीफे तदनुसार वापस ले लिये गए थे लेकिन इस्तीफे वापस लिये जाने को एअर इंडिया ने स्वीकार नहीं किया था।