दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा तथा राजग के शासन वाले मुख्यमंत्रियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर उन्हें विद्युत अधिनियम, 2003 के प्रस्तावित संशोधन से संबंधित खतरों के बारे में बताने के लिए कहा है।
संशोधन को संघीय ढांचा विरोधी बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि वे जानते हैं कि भाजपा के मुख्यमंत्रियों के लिए इसके खिलाफ बोलना आसान नहीं होगा, लेकिन आखिर जनता को जवाब तो उन्हें भी देना है।
अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, त्रिपुरा, बिहार, नगालैंड और मेघालय के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में यह भी दावा किया गया कि संशोधन के बाद विद्युत के क्षेत्र में राज्य शक्तिहीन हो जाएंगे।
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उन्होंने लिखा, ‘मैं जानता हूं कि आप भाजपा गठबंधन से हैं और आपके लिए संशोधन के खिलाफ बोलना आसान नहीं होगा। लेकिन मैं आपसे प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से मिलने और उन्हें इस संशोधन के खतरे बताने का विनम्र निवेदन करता हूं।’
उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में यह संशोधन पारित करना चाहती है। अगर यह पारित हो गया तो यह बहुत खतरनाक होगा।’
आम आदमी पार्टी के प्रमुख ने कहा, ‘यह संशोधन पारित होते ही सभी शक्तियां केंद्र के पास पहुंच जाएंगी। बिजली के मामले में राज्य सरकारें कोई निर्णय नहीं ले सकेंगी।’
उन्होंने मुख्यमंत्रियों को चेतावनी देते हुए कहा कि संशोधनों से बिजली बहुत महंगी हो जाएगी। ‘गरीब और मध्यम वर्ग पर बहुत बुरी चोट पड़ेगी.. केंद्र दोहरी सब्सिडी खत्म करना चाहता है। किसानों को सस्ती और निशुल्क बिजली मुहैया कराने तथा उद्योगों तथा वाणिज्यिक इकाइयों पर ज्यादा कर वसूलने के लिए लगभग सभी राज्य दोहरी सब्सिडी का उपयोग करते हैं।”
केजरीवाल ने कहा कि संशोधन होने पर किसानों, उद्योगपतियों, वाणिज्यिक, आवासीय और कृषक उपभोक्ताओं तथा दिल्ली को 7.50 रुपये प्रति इकाई भुगतान करना होगा।
उन्होंने कहा,’दिल्लीवासियों को 200 यूनिट तक एक रुपये प्रति यूनिट तथा 400 यूनिट का उपयोग करने वालों को 2.50 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना पड़ता है। यह संशोधन होने के बाद दोनों श्रेणियों को 7.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा।’