बंबई हाई कोर्ट ने एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा, आनंद तेलतुम्बडे और स्टेन स्वामी को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम छूट की अवधि बृहस्पतिवार को 14 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दी। न्यायमूर्ति बी पी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की पीठ ने पुणे पुलिस को मामले में अपनी जांच के बारे में 5 दिसंबर तक एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया।
कोर्ट ने गौतम नवलखा ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने के लिये दायर याचिका पर यह निर्देश दिया। इससे पहले, राज्य सरकार के अतिरिक्त सरकारी वकील अरूणा पई ने इस याचिका का विरोध किया। अरूणा पई ने पीठ से कहा कि पुलिस के पास ‘गौतम नवलखा के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं लेकिन पुलिस इस सूचना को अभी सार्वजनिक नहीं कर सकती।
उन्होंने ने कहा कि इस समय स्वामी और तेलतुम्बडे केवल ‘संदिग्ध’ हैं और दोनों अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस की जांच अभी जारी है। हालांकि, पीठ ने अरूणा के बयान पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की और कहा कि अभियोजन मामले में सभी संबंधित सूचना सौंपने के लिए बाध्य है।
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पीठ ने कहा, ‘‘एक हलफनामा दायर करें आपकी जांच अभी किसी भी चरण में हो। चूंकि आप कह रही हैं कि ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता या किसी अन्य पक्ष को नहीं बताया जा सकता, तो हलफनामे में इसके कारणों की भी जानकारी दें। मामले से जुड़ी सभी आवश्यक और संबंधित बातें रिकार्ड में होनी चाहिए।’’
पीठ ने तीनों याचिकाकर्ताओं को पुलिस का हलफनामा दायर होने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया। गौतम नवलखा ने अपने और कुछ अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ इस साल एक जनवरी को दायर एक प्राथमिकी के खिलाफ बंबई हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
यह प्राथमिकी 31 दिसंबर 2017 को एलगार परिषद की आयोजित बैठक के सिलसिले में दायर की गई है। पुलिस के मुताबिक, एलगार परिषद के कार्यक्रम को माओवादियों ने समर्थन और धन दिया।