कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के खतरे के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ईसाई समुदाय के लोगों ने शनिवार को सावधानी के साथ क्रिसमस का पर्व मनाया और कम संख्या में लोग गिरजाघरों में पहुंचे।ओमीक्रोन वेरिएंट की दहशत के बीच इस बार भी क्रिसमस पर पहले जैसी रौनक नहीं रहेगी। पिछले साल भी ओमीक्रोन में चर्च ने सादे तरीके से क्रिसमस सेलिब्रेशन किया था। हालांकि डीडीएमए की गाइडलाइंस क्रिसमस से कुछ दिन पहले आई हैं।
इसमें धार्मिक स्थलों को खुला रखने का निर्णय भी लिया गया है।ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने कोरोना गाइडलाइंस को फॉलो करने का आदेश दिया है। इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने भी सभी ऐतिहासिक गुरुद्वारों में नए नियम लागू करने का फैसला किया है। इस दौरान कोविड-19 संबंधी मानक संचालन प्रक्रियाओं तथा तमाम दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा।
दिल्ली के विभिन्न गिरजाघरों में मध्यरात्रि को होने वाली प्रार्थना के बारे में बात करते हुए रोमन कैथोलिक आर्चडायसी के आर्चबिशप अनिल जोसेफ थॉमस काउटो ने कहा कि इस साल क्रिसमस पर बहुत से लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकले। मीड़िया रिपोर्ट के अनुसार काउटो ने कहा, ‘‘भले ही गिरजाघरों में लोगों के आने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, डीडीएमए के आदेश को लेकर भ्रम की स्थिति थी। इसलिए, इस साल बहुत से लोग अपने घरों से बाहर ही नहीं निकले। कोरोना की मौजूदा स्थिति के कारण लोग थोड़े चिंतित हैं। हमने बड़ी संख्या में लोगों को नहीं देखा।’’
डिफेंस कॉलोनी में सेंट ल्यूक चर्च के पादरी जेम्स पीटर राज ने भी कहा कि इस साल क्रिसमस समारोह में बहुत कम लोग ही शामिल हुए। पादरी जेम्स पीटर राज ने कहा, ‘‘इस साल लोगों ने मास्क पहने हुआ था और वे शारीरिक दूरी के नियम का पालन कर रहे थे। हर बार की तरह इस साल कम लोग ही क्रिसमस के अवसर पर चर्च में आए।’’ लोधी रोड स्थित सेंटेनरी मेथोडिस्ट चर्च में भी क्रिसमस की रौनक नहीं दिखी।