दिल्ली की सीमाओं पर चले रहे किसान आंदोलन का गुरुवार को 78वां दिन है। इस आंदोलन की चर्चा सड़क से संसद तक हो रही है, लेकिन इसे समाप्त करने की दिशा में नई पहल फिलहाल होती नहीं दिख रही है। इस बीच आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान नेता अपनी मुहिम तेज करने में जुट गए हैं। किसान यूनियन एक बार फिर रेल रोको अभियान से सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में हैं।
आंदोलनकारी किसान नेता बताते हैं कि देशभर के किसानों को इस आंदोलन से जोड़ने के मकसद से 12 फरवरी से लेकर 18 फरवरी के बीच चार प्रमुख कार्यक्रम तय किए गए हैं जिसमें रेल रोको अभियान भी शामिल है। किसान नेता बताते हैं कि रेल रोको या सड़क जाम करके उनका इरादा आमलोगों के लिए कठिनाई पैदा करना नहीं है बल्कि किसान आंदोलन को लेकर उनको एक संदेश देना है इसलिए 18 फरवरी को दोपहर 12 बजे से चार बजे तक चार घंटे रेल रोको का कार्यक्रम रखा गया है।
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अभीक साहा ने कहा, "जिस तरह प्रधानमंत्री गैर-किसानों को समझा रहे हैं कि कृषि कानून बढ़िया हैं उसी प्रकार हम भी गैर-किसानों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि आपको तकलीफ देना हमारा काम नहीं है। इसलिए जिस समय ट्रैफिक सबसे कम होती है उस समय हमने सड़क जाम किया और इसी प्रकार, दिन में ट्रेन की ट्रैफिक कम होती है क्योंकि लंबी दूरी की ट्रेन प्राय: रात में चलती है।" उन्होंने कहा कि रेल रोको के जरिए देश की जनता को एक सांकेतिक संदेश देने की कोशिश की जा रही है।
पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह ने कहा कि आंदोलन तेज करने के जो भी कार्यक्रम किए जा रहे हैं और आगे भी किए जाएंगे उन सबका एक ही मकसद है कि पूरे देश के किसान समेत आमलोगों को नये कृषि कानूनों से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना है। संसद का बजट सत्र चल रहा है और संसद के दोनों सदनों में किसान आंदोलन चर्चा के केंद्र में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आंदोलनरत किसानों से मसले का समाधान करने के लिए फिर से वार्ता शुरू करने की अपील की है।
आंदोलन समाप्त करने को लेकर सरकार से फिर वार्ता शुरू करने को लेकर पूछे गए सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा कि सरकार की ओर से अगर कोई नया प्रस्ताव आए तो वार्ता होगी, लेकिन जिस प्रस्ताव को किसानों ने पहले ही ठुकरा दिया है उस पर वापस वार्ता का कोई मतलब ही नहीं है। किस तरह का प्रस्ताव के सवाल पर उन्होंने कहा कि किसान नेता तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया और एमएसपी के लिए नया कानून बनाने के प्रस्ताव पर बातचीत करना चाहेंगे।
भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने कहा कि नये कानून से किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है, इसलिए जब तक कानून वापस नहीं होंगे उनका आंदोलन जारी रहेगा और आंदोलन तेज करने की दिशा में आगे और कोशिशें जारी रहेंगी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक दिन पहले चार कार्यक्रमों की घोषणा की जिनमें 12 फरवरी से राजस्थान के भी सभी रोड टोल प्लाजा को टोल फ्री करने, 14 फरवरी को पुलवामा हमले में शहीद जवानों के बलिदान को याद करते हुए देशभर में कैंडल मार्च व मशाल जुलूस निकालने, 16 फरवरी को किसानों के मसीहा सर छोटूराम की जयंती पर देशभर में किसानों की एकजुटता दिखाने के साथ-साथ 18 फरवरी को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक देशभर में रेल रोको कार्यक्रम का आयोजन शामिल है।
आंदोलनकारी किसान केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं जबकि सरकार ने उन्हें 18 महीने के लिए नये कानूनों के अमल पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव को किसान यूनियनों द्वारा ठुकराने पर 11वें दौर की वार्ता बेपटरी होने बाद बीते 20 दिनों से गतिरोध जारी है जबकि दोनों पक्ष नये सिरे से वार्ता शुरू करने को तैयार है। ऐसे में जब तक नये प्रस्ताव के साथ किसी भी पक्ष की ओर से पहल नहीं होती है तब तक वार्ता शुरू होने का इंतजार बना रहेगा।
मुंबई में जोगेश्वरी स्टेशन के पास चलती ट्रेन से हुआ अलग डिब्बा, यातायात बाधित
