नई दिल्ली : गत 2 अप्रैल को एआईसीसी द्वारा अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किए जाने के बाद गुरुवार को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (डीपीसीसी) ने भी उसी घोषणा पत्र को प्रदेश स्तर पर जारी किया। मौके पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी मौजूद थे। घोषणा पत्र जारी किए जाने से पहले सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस ने न्यूनतम आय योजना (न्याय) की घोषणा के बाद से भाजपा नेताओं में बौखलाहट का माहौल है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार आने पर इस योजना को लागू किया जाएगा क्योंकि वह सत्तारूढ़ पार्टी की तरह ‘जुमलेबाजी’ नहीं करती है। सिंघवी ने पार्टी की दिल्ली इकाई के कार्यालय में संवाददाताओं से कहा कि हमारा घोषणापत्र व्यापक विचार विमर्श के बाद बना है। इसमें सबसे प्रमुख बिंदु ‘न्याय’ है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के कुछ बयानों का हवाले देते हुए दावा किया कि न्याय की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री और दूसरे भाजपा नेताओं में बौखलाहट की दिख रही है।
उन्होंने कहा कि यह भाजपा की घोषणाओं की तरह जुमलेबाजी नहीं है। इसे हम पूरा करेंगे। इस मौके पर उन्होंने अपने पिछले 10 सालों के कई कामों को गिनाया। साथ ही कहा कि आज भाजपा जिस बीमा योजना को अपना बता कर प्रचारित कर रही है, वास्तव में यह यूपीए-2 की योजना है। लेकिन भाजपा ने इसमें भी खेल किया है, इस योजना को चुनावों से मात्र कुछ महीने पहले लागू किया गया। यह भी चुनावों को देखते हुए। इसके अलावा कांग्रेस ने मनरेगा दी, खाद्य सुरक्षा दी।
सबसे बड़े स्तर पर कर्जमाफी की। अब देश को न्याय देने जा रही है। इस संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली प्रदेश कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित, कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया, हारून यूसुफ, प्रवक्ता जितेन्द्र कोचर और डीपीसीसी के दूसरे वरिष्ठ नेता मौजूद थे। सिंघवी ने लोकसभा चुनाव के लिए जारी कांग्रेस के घोषणापत्र में किए गए विभिन्न वादों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि किसान बजट पर सबसे पहले बात की गयी है। हमने यह भी कहा है कि राष्ट्रीय कृषि आयोग बनेगा।
मनरेगा में कार्य दिवस को 100 दिन को बढ़ाकर 150 दिन करेंगे। उन्होंने दावा किया कि संप्रग सरकार के 10 वर्षो में कृषि में विकास दर 3.5 से चार फीसदी के बीच थी। इनके समय 1.9 फीसदी से कम है। सिंघवी ने कहा कि इस बार का मुद्दा रोजगार, किसान, भ्रष्टाचार और न्याय योजना है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव का नेरेटिव सैट हो गया है, जो गरीबी और रोजगार है।
पूर्ण राज्य के मसले पर कहा, यह मुमकिन नहीं
शीला दीक्षित ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस पूर्ण राज्य की बाद रोजाना कह रहे हैं, वास्तव में वह मुमकिन ही नहीं है। उन्हें संविधान की जानकारी ही नहीं है। शीला ने कहा कि केजरीवाल सिर्फ लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। केजरीवाल को भी पता है कि पूर्ण राज्य का दर्जा संभव नहीं है, लेकिन वह सिर्फ दूसरों को जिम्मेदार ठहराने के लिए यह सब कर रहे हैं। सच यह भी है कि केजरीवाल सरकार चलाने में सक्षम नहीं है। वह सिर्फ दूसरों को जिम्मेदार ठहराकर खुद को बचाना चाहते हैं।
दिल्ली एक विशेष मामला है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की तुलना पुडुचेरी से नहीं किया जा सकता है। दिल्ली अन्य राज्यों से बहुत भिन्न है। यहां पर पूर्ण राज्य को लेकर बहुत बड़ी प्रक्रिया है, संविधान है। उन्होंने कहा कि एनसीआर अधिनियम के मुताबिक दिल्ली में मुख्यमंत्री और एलजी दोनों की व्यवस्था कायम की गई है। जिससे दिल्ली दोनों तरफ से विकास करें, लेकिन केजरीवाल वेबजह इस मुद्दा बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्ण राज्य की मांग हमने भी की थी। तब केंद्र में कांग्रेस सरकार ही थी।
तब हमें समझाया गया था कि दिल्ली देश की राजधानी है। इसके चलते संविधान को बदलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता, केजरीवाल को यह पता है कि नहीं? गुरुवार को कांग्रेस ने अपने मेनीफेस्टो को प्रदेश स्तर पर जारी कर दिया, लेकिन दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा गठित मेनीफेस्टो कमेटी के चैयरमैन अजय माकन इस महत्वपूर्ण मौके पर भी नहीं पहुंचे।
यहां तक की मेनीफेस्टो कमेटी के वाइस चैयरमैन प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष देवेन्द्र यादव भी मौजूद नहीं हुए। इनके अलावा कम्पेन कमेटी के चैयरमैन सुभाष चोपड़ा भी नदारद रहे। यहां यह बता दें कि यह दोनों वरिष्ठ नेता ही दूसरे गुट के नेता माने जाते हैं। मेनीफेस्टो जारी होने के समय इन दोनों का नाम होना चर्चा का विषय रहा।