राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के संक्रमण का असर देश के अन्य राज्यों के मुकाबले अब कुछ काम देखा जा रहा है। वहीं नए सीरो सर्वे से पता चला है कि दिल्ली में 29.1 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने वाले एंटीबॉडी हैं। पिछले सर्वे के मुकाबले इस बार लगभग 6 फीसदी ज्यादा लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज पाई गई हैं।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने गुरुवार दूसरे सीरो सर्वे की रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, दिल्ली में सीरो सर्वे के लिए 15,000 लोगों के सैंपल लिए गए थे। इनमें से 28.3 प्रतिशत पुरुषों और 32.2 प्रतिशत महिलाओं में एंटीबॉडी मिले हैं। सर्वे में सभी आयु वर्ग के लोगों को शामिल किया गया था।
जिन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित हुई उनमें सबसे बड़ी संख्या 18 साल तक के बच्चों की है। 34 प्रतिशत से अधिक बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित हुई है। हालांकि यह अभी भी हर्ड इम्यूनिटी के लेवल तक नहीं पहुंचा है, इसलिए जो लोग बचे हैं उनको संक्रमण का खतरा बना हुआ है।
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सत्येंद्र जैन ने कहा, इस बार के परिणाम में देखने को मिला है कि जिस इलाके में पिछली बार लोगों में सबसे ज्यादा एंटीबॉडी मिले थे, वहां के लोगों में इस बार सबसे कम एंटीबॉडी मिले हैं। वहीं पिछली बार जहां सबसे कम लोगों में एंटीबॉडी मिले थे, वहां इस बार सबसे ज्यादा हैं।
सीरो सर्वे के परिणाम बताते हैं इस बार उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सबसे कम बढ़ोतरी हुई है, जो पिछली बार सबसे ज्यादा थी। दूसरी तरफ सबसे ज्यादा बढ़ोतरी साउथ-ईस्ट में हुई है। सत्येंद्र जैन ने कहा, दिल्ली में एक समय संक्रमण दर 30 प्रतिशत पहुंच गया था। अभी यह छह प्रतिशत पर है।
रिकवरी रेट भी बढ़कर 90 फीसदी से ज्यादा हो गई है। सरकार कोरोना के खिलाफ मजबूती से कदम उठा रही है और हालात बेहतर हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब 50 से 70 प्रतिशत लोग संक्रमित होकर ठीक हो जाते हैं तो सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी हर्ड इम्युनिटी बनती है।