नई दिल्ली : आर्थिक तंगी से जूझ रही साउथ एमसीडी ने अब दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) के दरबार में गुहार लगाई है। इस कड़ी में साउथ एमसीडी मेयर सुनीता कांगड़ा उपराज्यपाल अनिल बैजल से मिलने पहुंची। मुलाकात कर कांगड़ा ने उपराज्यपाल को वर्तमान वित्तीय स्थिति की जानकारी दी। मेयर ने पांचवे वित्त आयोग की सिफारिशों की राशि जारी करने के निगम के दावे के औचित्य के बारे में एक विस्तृत पत्र भी उपराज्यपाल को सौंपा। इस पत्र में यह भी कहा गया है कि दिल्ली के तीसरे वित्त आयोग ने पहले यह फैसला किया था कि राशि का वितरण पूर्व तिथि से नहीं किया जाएगा हालांकि अब ऐसा किया जा रहा है।
सुनीता कांगड़ा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशें पिछली तिथि से लागू करने के कारण निगम से 275.46 करोड़ रुपए वापस लेने का फैसला किया है। वर्ष 2016-17 में योजनागत और गैर योजनागत की कुल मिलाकर 1832.59 करोड़ रुपए राशि जारी की गई थी जिसे कम करके 2019-20 में 781.84 करोड़ किया है। पांचवें वित्त आयोग ने योजनागत राशि 1555.70 करोड़ रुपए देने की सिफारिश की थी लेकिन दिल्ली सरकार ने 617.70 करोड़ रुपए निर्धारित किए जोकि पहली किश्त जारी करने के मानदंड के अनुरुप अभी पूरी तरह नहीं जारी की।
साउथ एमसीडी का प्रमुख खर्च 2012-13 में 2198.87 करोड़ रूपए था जो 2019-20 में बढक़र 4880 करोड़ रूपए हो जाने की उम्मीद है। कांगड़ा ने कहा कि निगम को मिलने वाली राशि में कटौती के बाद उसके लिए अपने कर्मचारियों को पेंशन और वेतन देना मुश्किल हो जाएगा। साथ ही स्वच्छता, मच्छर जनित रोगों के नियंत्रण, नालों के निर्माण, रख-रखाव और गाद निकालने के काम तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को चलाने में भी समस्याएं आएंगी।