नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के नये नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र तथा विश्वविद्यालय का रुख जानना चाहा। अदालत ने कहा कि दाखिला के लिये पंजीकरण की शुरुआत से महज एक दिन पहले मानदंड में संशोधन किया गया जो बिल्कुल मनमाना है।
वकील चरणपाल सिंह बागरी द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि अंतिम समय में मानदंड में संशोधन का विश्वविद्यालय का फैसला स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। याचिका में संशोधित पात्रता मानदंड को रद्द करने और छात्रों को पूर्व मानदंड के अनुरूप ही आवेदन की इजाजत देने का अनुरोध किया गया है।
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डीयू में दाखिला के लिये पंजीकरण की शुरूआत 30 मई से हो गयी है। यह प्रक्रिया 14 जून को खत्म होगी। अदालत ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ब्रजेश कुमार और विश्वविद्यालय को अगली सुनवाई के दिन यानी 14 जून तक याचिका के संबंध में अपने-अपने जवाब दाखिल करने को कहा है। ऐसा देखा गया कि कुछ पाठ्यक्रमों के लिये पात्रता मानदंड में किये गये बदलाव से छात्र अनजान हैं।