पुणे: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की सुनवाई कर रही पुणे की सेशन कोर्ट ने तीन मुख्य आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। इन तीनों आरोपियों की हाउस अरेस्ट की अवधि आज यानि शुक्रवार को खत्म हो रही है। कोर्ट ने आरोपी अरुण फेरेरा, वर्नोन गोंजाल्विस और सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
महाराष्ट्र में हुई कोरेगांव-भीमा हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने गौतम नवलखा सहित चार अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। बाद में हाईकोर्ट ने 65 वर्षीय नवलखा को राहत देते हुए निचली अदालत के ट्रांजिट रिमांड आदेश को रद्द कर दिया था। इतिहासकार सहित अन्य बुद्धिजीवियों ने इनके खिलाफ आरोपों को मनगढ़ंत बताया था।
लेकिन कोर्ट ने कहा कि आरोपियों और माओवादियों के बीच संंपर्क के प्रथम दृष्टया साक्ष्य मिलते हैं। इससे पहले कोर्ट ने 20 सितंबर को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। महाराष्ट्र पुलिस ने एक्टिविस्ट्स को 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था और वे 29 अगस्त से ही अपने घरों में नजरबंद हैं।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील तुषार मेहता ने दायर याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा, जिन्होंने याचिका दायर की है वे इस मामले से जुडे़ हुए नहीं हैं और न ही उन्हें इस मामले में कोई जानकारी है। साथ ही उन्होंने कहा कि आरोपियों से बरामद किए गए कई कथित दस्तावेज दोषी ठहराने लायक हैं। उन्होंने कहा, ‘आरोपियों को न केवल इस मामले में उनकी कथित भागीदारी के लिए गिरफ्तार किया गया है बल्कि वे देश में शांति को भी भंग कर रहे हैं।’