Arvind Kejriwal की अंतरिम जमानत याचिका पर 1 जून को सुनवाई

Arvind Kejriwal की अंतरिम जमानत याचिका पर अदालत 1 जून को करेगी सुनवाई

Arvind Kejriwal

Arvind Kejriwal: राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत कथित आबकारी घोटाले से संबंधित एक धनशोधन मामले में चिकित्सा के आधार पर एक सप्ताह की अंतरिम जमानत के अनुरोध वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर शनिवार को सुनवाई कर सकती है।

Highlights:

  • Arvind Kejriwal की अंतरिम जमानत याचिका पर 1 जून को सुनवाई
  • स्वास्थ की जांच के लिए अवधि बढ़ाने की मांग की
  • 21 दिन की अंतरिम जमानत थे केजरीवाल

Arvind Kejriwal: जमानत की अवधि एक जून को समाप्त

विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने 30 मई को ईडी को निर्देश दिया था कि वह एक जून तक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करे। उच्चतम न्यायालय की ओर से मंजूर की गयी अंतरिम जमानत की अवधि एक जून को ही समाप्त हो रही है। अदालत ने ईडी को इस मामले में केजरीवाल की नियमित जमानत याचिका पर सात जून तक जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया था।

अंतरिम जमानत सात दिनों तक बढ़ाने का अनुरोध

उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने बुधवार को केजरीवाल की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था, जिसमें उन्होंने कुछ चिकित्सकीय जांच कराने के लिए अपनी अंतरिम जमानत सात दिनों तक बढ़ाने का अनुरोध किया था। रजिस्ट्री ने यह कहा था कि चूंकि उन्हें नियमित जमानत के लिए निचली अदालत जाने की आजादी दी गयी थी, इसलिए संबंधित याचिका विचारणीय नहीं थी।

स्वास्थ की जांच के लिए अवधि बढ़ाने की मांग की

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने ‘‘अचानक और अस्पष्ट तरीके से वजन घटने के साथ-साथ उच्च कीटोन स्तर’’ के मद्देनजर पीईटी-सीटी स्कैन सहित कई मेडिकल जांच के लिए अपनी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। कीटोन के स्तर में वृद्धि किडनी, गंभीर हृदय संबंधी बीमारियों और यहां तक ​​कि कैंसर का संकेत दे सकती है।

21 दिन की अंतरिम जमानत थे Aravind Kejriwal

शीर्ष अदालत ने 10 मई को मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने के लिए 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी। इसने उन्हें सात चरणों के चुनाव के अंतिम चरण के एक दिन बाद यानी दो जून को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है। यह नीति अब निरस्त की जा चुकी है।

(शीर्षक को छोड़कर, यह कहानी पंजाब केसरी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं की गई है और एक सिंडिकेटेड फ़ीड से प्रकाशित हुई है )

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