नाबालिग से बलात्कार के आरोपी आसाराम को जेल प्रशासन ने कैदी नंबर 130 बनाया है। नाबालिग से बलात्कार का केस दर्ज होने के बाद एक सितंबर 2013 को आसाराम की गिरफ्तारी हुई थी। पिछले चार साल, सात माह और 24 दिन से वह जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद रहा। आसाराम जेल में बने अस्थाई कोर्टरूम में विचाराधीन बंदी के रूप में गया और बाद में सजायाफ्ता बनकर निकला।
अब तो जेल की रोटी खानी पड़ेगी
आसाराम को अब तक आश्रम से आया खाना खाने को मिलता था लेकिन अब उसे जेल का खाना दिया जा रहा है। जेल में आश्रम से भोजन लाने की अनुमति राजस्थान हाईकोर्ट ने दी थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। उसे जेल के कपड़ पहनने को दिए गए। बुधवार तक आसाराम के लिए बाहर से कपड़े आते थे। उम्र ज्यादा होने के कारण उसे बुजुर्ग श्रेणी में रखा गया है। आसाराम की उम्र अदालती दस्तावेजों के अनुसार 79 साल है। जानकारी के अनुसार जेल अधिकारियों ने आसाराम को सजायाफ्ता कैदी की श्रेणी में रखा है। उस पर वे सभी नियम लागू हैं जो अन्य कैदियों के लिए हैं।
उसकी उम्र को देखते हुए वह बुजुर्ग कैदियों के दायरे में आता है। जेल के नियमानुसार इतने बुजुर्ग कैदी से ज्यादा काम नहीं लिया जाता। उससे जेल में पेड़-पौधों में पानी डालने जैसा हल्का-फुलका काम ही कराया जाएगा। उसके साथ बंद सेवादार शरदचंद्र को कैदी नंबर 129 का बिल्ला दिया गया है। वहीं शिल्पी को कैदी नंबर 76 का बिल्ला मिला है। इससे पहले आसाराम के साथ उसका सेवादार और रसोइया प्रकाश जेल में था। मगर कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। खास बात है कि आसाराम को उसी वार्ड-बैरक में रखा गया है, जहां वह पहले से रहा है।
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