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ईडब्ल्यूएस दाखिले का इंतजार

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नई दिल्ली: अभी नर्सरी दाखिले के लिए सिर्फ जनरल कैटेगरी के आवेदन शुरू हुए हैं लेकिन ईडब्ल्यूएस श्रेणी के अभिभावक इस बात से अंजान हैं और यही कारण हैं कि अभिभावक फॉर्म लेने के लिए लगातार स्कूलों में पहुंच रहे हैं। न सिर्फ स्कूलों में बल्कि आसपास के साइबर कैफे में भी ऑनलाइन फॉर्म लेने के लिए अभिभावकों की भीड़ जुट रही है। दरअसल ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए दिशा-निर्देशों की घोषणा सरकार अलग से करती है और उसके बाद दाखिला प्रक्रिया शुरू होती है। इस श्रेणी के लिए दिशा-निर्देश कुछ समय बाद ही घोषित किए जायेंगे। कुछ अभिभावकों को इस बात की जानकारी है लेकिन कुछ अभिभावकों को इसके बारे में जानकारी नहीं है इसलिए अपने बच्चे का बेहतर स्कूल में दाखिला करवाने के लिए अभी से अभिभावक स्कूलों में पहुंच रहे हैं।

दुविधा में अभिभावक… दरअसल अभिभावक इस बात को लेकर काफी दुविधा में हैं कि अंक किस आधार पर दिए जा रहे हैं। स्कूलों में नेबरहुड के अधिक अंक दिए जाते हैं और जो बच्चे स्कूल से अधिक दूरी पर रहते हैं उन्हें कम अंक लेकिन कुछ अभिभावक ऐसे हैं जिन्हें स्कूल के पास रहते हुए भी कम अंक मिल रहे हैं। इसके साथ ही सभी स्कूल अलग-अलग अंक दे रहे हैं। कोई नेबहरहुड के 15 अंक दे रहा है तो कोई 20।

बच्चा एक, स्कूल अनेक…
दाखिला प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही अभिभावकों ने एक, दो या तीन स्कूल के बजाय 10, 20, 30 और इससे अधिक स्कूलों में आवेदन दिए हैं। अभिभावक सुनीता का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे के लिए पश्चिमी दिल्ली करीबन 13 स्कूलों में आवेदन दिए हैं। उनका कहना है कि वह अपने बच्चे के लिए बढ़िया स्कूल की तलाश में हैं और यह 13 स्कूल ऐसे हैं जिसमें दाखिला लेने के लिए अभिभावकों की भीड़ लगी हुई है।

ड्रॉ की हो वीडियोग्राफी, अभिभावकों के सामने पर्ची में लिखे जाएंगे बच्चों के नाम
दाखिला प्रक्रिया को पारदर्शी रखने की दिशा में शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूलों को ड्रॉ की वीडियोग्रााफी करने का आदेश दिया है। निदेशालय ने कहा है कि ड्रॉ निकालते वक्त सभी स्कूल वीडियोग्राफी करवाएंगे और उस वीडियो को तीन महीने तक संभाल कर रखेंगे। दरअसल पिछले साल दाखिले को लेकर अभिभावकों ने स्कूलों पर आरोप लगाए थे कि स्कूल कुछ खास बच्चों को दाखिला देने में रूचि दिखा रहे हैं।

इसे देखते हुए निदेशालय ने कहा कि सभी स्कूलों को पारदर्शिता दिखाने की जरूरत है और साथ ही अभिभावकों को संतुष्ट करना स्कूल का काम है इसलिए ड्रॉ की वीडियोग्राफी करवाई जाए ताकि स्कूलों के पास यह सबूत हो कि उन्होंने दाखिला प्रक्रिया में किसी प्रकार का पक्षपात नहीं किया है। इसके साथ निदेशालय ने कहा कि पर्ची पर बच्चों के नाम तभी लिखे जायेंगे जब अभिभावक सामने होंगे।

सभी बच्चों के नाम अभिभावकों के सामने लिखे जायेंगे और उसके बाद ड्रॉ निकाला जायेगा। दरअसल अभिभावकों की यह भी शिकायत है कि उन्हें ड्रॉ की अग्रिम सूचना नहीं दी जाती इसलिए निदेशालय ने ड्रॉ निकालने से पहले अभिभावकों को इस सूचना देने के लिए कहा है। इस वीडियोग्राफी से न तो स्कूल कुछ गड़बड़ी कर पायेंगे और न ही अभिभावक स्कूलों पर सवाल उठा सकेंगे।

इन चीजों को नहीं पूछ सकते स्कूल
शिक्षा निदेशालय और हाईकोर्ट ने कुछ ऐसे प्वाइंट जारी किए हैं जिसे स्कूल अभिभावकों से नहीं पूछ सकते और यदि स्कूल इन चीजों की जानकारी अभिभावकों से मांगते हैं तो अभिभावक स्कूल के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। अभिभावकों की आय, उनकी योग्यता, जाति-धर्म, खाने-पीने की आदतों, बच्चों या अभिभावकों का टेस्ट, बच्चे का इंटरव्यू, खास क्वॉलिटी, इक्नोमिक बैकग्राउंड, परिवार, स्पेशल केस, सरकारी नौकरी, बच्चे की म्यूजिक-डांस में योग्यता जैसे प्वाइंट शामिल हैं।

एक से ज्यादा बच्चे तो नहीं दे रहे दाखिला
कई स्कूल ऐसे हैं जो एक से ज्यादा बच्चे होने पर दाखिला ही नहीं दे रहे हैं। इन्हीं में से एक है सलवान पब्लिक स्कूल। स्कूल उन बच्चों को दाखिला नहीं देगा, जिनके एक से ज्यादा भाई या बहन हैं। स्कूल के फाउंडर सुशील सलवान का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण को देखते हुए यह क्राइटिरिया रखा गया है और पिछले कई सालों से यह हमारे क्राइटिरिया का हिस्सा है।

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