नई दिल्ली : प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के आदेश पर शुक्रवार को भाजपा नेता आजाद सिंह और उनकी पत्नी सरिता चौधरी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया। प्रदेश कार्यालय में पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के बाद से अनुशासन को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। पार्टी पहले ही दोनों को पदों के दायित्व से मुक्त कर चुकी है।
प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के निर्देशानुसार आजाद सिंह और सरिता चौधरी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया गया है। पार्टी सूत्रों की माने तो गत 19 सितंबर को प्रदेश कार्यालय में पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के बाद से मामले पर गंभीरता से विचार किया जा रहा था। विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, ऐसे में पार्टी भी कदम फूंक-फूंक कर रही है। अनुशासहीनता को ध्यान में रखते हुए यह कार्रवाई की गई है।
बेशक विवाद पति-पत्नी के बीच का था, लेकिन प्रदेश कार्यालय में विवाद सार्वजनिक होने से पार्टी के लिए कार्रवाई करना जरूरी हो गया था। 19 सितंबर को हुए विवाद के बाद आजाद सिंह को तत्काल महरौली जिलाध्यक्ष के पद से मुक्त कर दिया गया था। वहीं 24 सितंबर को सरिता चौधरी को प्रदेश में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ प्रकल्प की संयोजक पद से मुक्त कर दिया गया था। दोनों ही महरौली विधानसभा से विधायक टिकट की दावेदारी में जुटे हुए थे।
सरिता चौधरी इस सीट से 2015 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में विधायक का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। आजाद सिंह और सरिता चौधरी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद से बाहरी दिल्ली भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज शौकीन और महिला मोर्चा अध्यक्ष पूनम पराशर को लेकर भी चर्चा तेज हो गई कि आखिर पार्टी इन पर लगे आरोपों की जांच को आगे बढ़ाते हुए कोई कार्रवाई करेगी या मामले को ठंडे बस्ते में ही डाल दिया जाएगा।
पूनम पराशर और उनके पति अनिल झा के खिलाफ किराड़ी विधानसभा से दो निगम पार्षद, पांच मंडल अध्यक्ष, एक पूर्व पार्षद और ओबीसी मोर्चा जिलाध्यक्ष प्रदेश कार्यालय में शिकायत दे चुके हैं। वहीं मनोज शौकीन पुत्र वधु से दुष्कर्म के आरोप में घिरे हुए हैं। पीड़िता के परिजन भी केन्द्रीय और प्रदेश भाजपा नेताओं से शौकीन के विरुद्ध शिकायतें कर चुके हैं। देखना यह है कि पार्टी दोनों ही मामलों में कब और क्या कदम उठाएगी।