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दिल्ली दंगे मामले को लेकर बैजल ने केजरीवाल को लिखा पत्र, कहा- सात दिनों में निर्णय ले CM

उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अपने पत्र में कहा कि कार्यवाहक गृह मंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव से सहमत नहीं हुए जबकि पुलिस ने इसके लिए विस्तारपूर्वक स्पष्टीकरण दिया है।

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर उनसे दंगों और सीएए विरोधी प्रदर्शनों से संबंधित मामलों में दिल्ली पुलिस की ओर से पैरवी करने के लिए छह वरिष्ठ वकीलों को नियुक्त करने के विभाग के प्रस्ताव पर एक हफ्ते के भीतर निर्णय लेने के लिए कहा है। 
बैजल ने अपने पत्र में कहा कि कार्यवाहक गृह मंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव से सहमत नहीं हुए जबकि पुलिस ने इसके लिए विस्तारपूर्वक स्पष्टीकरण दिया है। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगों के 85 मामलों में उसकी तरफ से पैरवी करने के लिए छह वरिष्ठ वकीलों को नियुक्त करने और संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के 24 मामले विशेष लोक अभियोजक को सौंपने का प्रस्ताव दिया है। उपराज्यपाल ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव से सहमति जताने का अनुरोध किया था। 
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सूत्रों ने बताया कि मतभेदों को दूर करने के लिए शुक्रवार को बैजल और सिसोदिया के बीच वीडियो कांफ्रेंस के जरिए बैठक हुई लेकिन मामले का हल नहीं निकाला जा सका। एक सूत्र ने बैजल द्वारा लिखे पत्र के हवाले से कहा, ‘‘चूंकि मतभेद अब भी बना हुआ है तो मैं मुख्यमंत्री से इस मामले को शीघ्रता से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार कानून, 1991 की धारा 45 के तहत जीएनसीटीडी के टीबीआर के 49 नियम के तहत मंत्री परिषद को भेजने का अनुरोध करता हूं।’’ 
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उन्होंने कहा, ‘‘मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अनुरोध किया जाता है कि मंत्रिमंडल का फैसला जल्द से जल्द, संभवत: एक हफ्ते के भीतर बता दिया जाए।’’ सूत्रों ने यह भी बताया कि अगर दिल्ली मंत्रिमंडल पुलिस के अनुरोध से सहमत नहीं होता है तो उपराज्यपाल के पास संविधान के अनुच्छेद 239एए(4) के प्रावधानों के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करने का विकल्प होगा। आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच फरवरी में उत्तरपूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक दंगों से जुड़े मुकदमों में पैरवी के लिए 11 विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति को लेकर जून में सबसे पहले टकराव सामने आया था। तब दिल्ली सरकार ने इस मुद्दे पर पुलिस के अनुरोध को खारिज कर दिया था और उपराज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 239एए(4) के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया था। 

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