सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के 24 नवंबर के आदेश को निष्प्रभावी बनाने का अनुरोध करने वाली एक बिल्डर संस्था की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
निर्माण कार्य पर पुन: लगाए गए प्रतिबंध
प्रधान न्यायाशीध एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने खराब होती वायु गुणवत्ता का संज्ञान लेते हुए 22 नवंबर से निर्माण गतिविधियों की अनुमति देने के कार्यपालिका के आदेश को पलट दिया था और इस पर पुन: प्रतिबंध लगा दिया था।
SC से की तत्काल सुनवाई की मांग
बहरहाल, इसने निर्माण से संबंधित नलसाजी के काम, आंतरिक सजावट, बिजली का काम और लकड़ी के काम जैसी गैर-प्रदूषणकारी गतिविधियों की अनुमति दी थी। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि रियल एस्टेट कंपनियों को इस प्रतिबंध के कारण करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है और इस यचिका पर सोमवार या मंगलवार को तत्काल सुनवाई होनी चाहिए।
तत्काल फैसला सुनाने से किया इंकार
इस पर, पीठ ने कहा, ‘‘मैं अभी फैसला नहीं करूंगा। आप सरकार के पास जाइए। इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई होने दीजिए और हम तभी इस पर गौर करेंगे… क्षमा कीजिए, हम (अभी सुनवाई) नहीं कर सकते।’’ वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘मैं कुछ और कह रहा हूं। सरकार ने निर्माण गतिविधियों पर लगी रोक हटा दी है। इस प्रतिबंध को सरकार ने नहीं, बल्कि न्यायालय ने दोबारा लगाया है।’’
न्यायालय में दायर याचिका में 60 से अधिक बिल्डरों के एक निकाय, ‘डेवलपर्स एंड बिल्डर्स फोरम’ ने कहा है कि वे नवीनतम निर्माण प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं ताकि धूल से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके और निर्धारित मानदंडों का भी पालन किया जाता है।
हितधारकों के विचारों को जाने बिना जारी हुआ निर्देश
याचिका में कहा गया है, “अत्यंत सम्मानपूर्वक यह अनुरोध किया जाता है कि प्रासंगिक आंकड़ों के मद्देनजर इस अदालत द्वारा एक व्यापक प्रतिबंध लगाने वाले उपरोक्त निर्देश पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।” इसमें कहा गया, “निर्देश सभी हितधारकों के विचारों को जाने बिना और विभिन्न प्रकृति की निर्माण गतिविधियों के बीच अंतर किए बिना जारी किया गया है।”
प्रदूषण की रोकथाम के लिये आयोग के निर्देशों को करें लागू : SC
याचिका में कहा गया, “यह कहा जाता है कि सभी निर्माण गतिविधियों पर वर्तमान पूर्ण प्रतिबंध आवासीय और अन्य इकाइयों के छोटे निर्माणों को भी अपने दायरे में ले लेता है, जिन्हें किसी भी तरह से बड़े पैमाने पर प्रदूषण का कारण नहीं कहा जा सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और एनसीआर के राज्यों को निर्देश दिया था कि वे एनसीआर और आसपास के इलाकों में प्रदूषण की रोकथाम के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेशों को लागू करें तथा यह सुनिश्चित करने के लिये प्रस्ताव देने को कहा था कि सभी औद्योगिक इकाइयां समयबद्ध तरीके से पीएनजी या स्वच्छ ईंधन का उपयोग करना शुरू करें या बंदी का सामना करें।