नई दिल्ली : बवाना में चल रही हजारों फैक्ट्रियों में बने बेसमेंट में कई राज छुपे हुए हैं। यहां औद्योगिक ईकाईयों को लाइसेंस किसी और मर्ज में दिया जाता है, लेकिन अवैध रूप से काम किसी और का चलता है। इस प्रयास में बेसमेंट गोदाम का काम करता है। सूत्रों की माने तो बवाना में 16 हजार से अधिक फैक्ट्रियां हैं, इनमें से अधिकतर वह काम नहीं करते जिस के लिए उन्हें लाइसेंस दिया गया है। यहां जमीन किराये पर दिलाने वाले एक ब्रोकर का कहना है कि इस औद्योगिक ईकाई में अधिकतर ईकाईयां खाली हैं। मालिकों ने यहां फैक्ट्रियां तो बना दी लेकिन वह व्यापार नहीं करते। ऐसे में वह अपने ईकाईयों को किराये पर दे देते हैं।
किराये पर देने के कारण संबंधित व्यक्ति अपनी सुविधा अनुसार काम करवाता है। जबकि उसके पास उक्त का लाइसेंस भी नहीं होता। उनका कहना है कि स्थानीय स्तर पर प्रशासन से मिलीभगत कर वह आसानी से यह कार्य करते हैं। वह बताते हैं कि जिस फैक्ट्री में आग लगी थी उसमें भी ऐसी ही घटना सामाने आई थी। वहीं इस संबंध में डीएसआईआईडीसी के अधिकारी ने बताया कि हमारा काम सुविधाएं देने का हैं, इनकी जांच करने का नहीं।
बवाना की फैक्ट्री में हुई आगजनी की घटना के बाद आसपास के क्षेत्रों में मजदूरों के लिए राहत की खबर है। फिलहाल उनसे समय के आधार पर ही काम लिया जा रहा है जबकि पहले यहां मजदूूरों के लिए कोई नियम तय नहीं थे। इस संबंध में बवाना में काम करने वाले एक मजदूर ने बताया कि घटना के बाद फैक्ट्री मालिक काफी डरे हुए हैं। पिछले कुछ दिनों से यहां अधिकारियों और मीडिया का ताता लगा हुआ है।
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