बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर पहले तो खुब विवाद हुआ और अब बीबीसी के आफिस में छापा मारा गया है। इनकम टैक्स की टीम ने बीबसी के दिल्ली और मुंबई के आफिस में छापेमारी की और सभी कर्मचारियों के फोन जब्त कर लिए गए है। साथ ही कर्मचारियों से दफ्तर छोड़कर घर जाने के लिए कहा गया है।
बीबीसी के कार्यालय पर इनकम टैक्स का छापा
बीबीसी पर की गई कार्रवाई को लेकर ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने भी बड़ा बयान दिया हैा उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में तथ्यों को पूरी तरह से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। उन्होंने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि बीबीसी ब्रिटिश सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। ब्लैकमैन ने कहा कि पीएम मोदी पर केंद्रित दो-भाग की बनी बीबीसी की ये सीरीज खराब पत्रकारिता का परिणाम है। इसमें खराब शोध किया गया है और ये पूरी तरह से अनुचित है।
केंद्र सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर लिया था एक्शन
बता दें कि केंद्र सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर पहले एक्शन भी ले चुकी है इसलिए सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री के लिंक को साझा करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे। जिसके बाद इस मामले ने काफी तूल पकड़ा और विपक्षी दलों ने इसे लेकर केंद्र सरकार को घेरा। मामला बढता गया औप अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है।
अमित शाह ने डॉक्यूमेंट्री को लेकर दिया बयान
पीएम मोदी पर बनी ये डॉक्यूमेंट्री 2002 में हुए गुजरात दंगो पर बनाई गई उस वक्त मोदी गुजरात के सीएम थे। इसलिए इसपर विवाद बढता ही जा रहा है इस मामले में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर मंगलवार को अमित शाह ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुई घटनाएं बताती हैं कि जब मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे तब भारत और विदेशों में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया गया था। मोदी सरकार ने डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया द मोदी क्वेश्चन’ पर नकेल कसते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को फिल्म को साझा करने वाले ट्वीट और वीडियो को हटाने का आदेश दिया जिसे वह प्रचार का हिस्सा’ बताती है। वहीं विपक्ष भी सेंसरशिप को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े कर रहे है।