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बिहार का कुख्यात गैंगस्टर आजाद दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ा

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बिहार एसटीएफ टीम के साथ जॉइंट ऑपरेशन चलाते हुए बिहार के मोस्ट वांटेड गैंगस्टर आजाद अली (43) को गिरफ्तार किया है।

नई दिल्ली, (पंजाब केसरी): दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बिहार एसटीएफ टीम के साथ जॉइंट ऑपरेशन चलाते हुए बिहार के मोस्ट वांटेड गैंगस्टर आजाद अली (43) को गिरफ्तार किया है। आरोपी के पास से एक सिंगल शॉट पिस्टल और .315 के 3 कारतूस बरामद हुए हैं। आरोपी के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। आजाद पर पहले से हत्या, डकैती समेत कई संगीन धाराओं में 6 केस दर्ज हैं। आरोपी ने एके-47 से भी अपने साथियों के साथ एक कार के काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ कर आगे की जांच कर रही है। पुलिस के मुताबिक आरोपी ने खुलासा किया है कि बिहार में अप्रैल महीने में सीवान में हुआ शूटआउट कुख्यात गैंगस्टर आफताब आलम और मोहम्मद रहीस खान के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा था। वारदात के बाद से आरोपी दिल्ली-एनसीआर में छिप रहा था।
बिहार व दिल्ली पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन कर दिल्ली रिंग रोड़ से दबोचा 
डीसीपी स्पेशल के मुताबिक एसीपी अत्तर सिंह के सुपरविजन में इंस्पेक्टर शिव कुमार, पवन कुमार की टीम को शुक्रवार रात आजाद अली के रिंग रोड पर आने की सूचना मिली थी। रात 11.15 बजे सेल और बिहार एसटीएफ की टीम ने आरोपी को रिंग रोड, राजघाट के पास घेरकर दबोच लिया। आरोपी गत चार अप्रैल 2022 बिहार के जिला सीवान के पीएस सदर क्षेत्र में हुए शूटआउट में शामिल था। शहाबुद्दीन गैंग के कुख्यात गैंगस्टर आफताब आलम ने आजाद अली और ओसामा (दिवंगत शहाबुद्दीन के बेटे) व उनके अन्य 7-8 सहयोगियों के साथ कार के काफिले पर एके-47 राइफल से अंधाधुंध फायरिंग की थी। काफिला स्थानीय राजनेता मोहम्मद रहीस खान का था। वह बिहार में विधान परिषद के चुनाव के बाद अपने गांव लौट रहा था। रहीस की कार में बैठे दो लोगों के अलावा तीन राहगीरों को गोली लगी थी। इनमें से एक विनोद यादव की मौत हो गई थी। वहां, करीब 50 राउंट फायरिंग हुई थी। पुलिस को 37 खाली खोके मौके पर पड़े मिले थे। इस हमले का मास्टरमाइंड आफताब आलम था।
वर्षों पुरानी है रंजिश–
पुलिस के मुताबिक आलम और रहीस दोनों ही बिहार के कुख्यात गैंगस्टर है। दोनों गैंग के लोग अपना-अपना वर्चस्व दिखाने के लिए एक दूसरे पर गोलीबारी करते रहते हैं। आलम को मृतक शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा का सपोर्ट है। वहीं, रहीस वर्ष 2022 में बिहार विधान परिषद की सदस्यता के लिए चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गया था। शहाबुद्दीन की मौत के बाद रहीस की ओसामा से पुरानी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता भी है।

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