नई दिल्ली : द्वारका सेक्टर-14 में 5 टन प्रतिदनि क्षमता के बायोमिथिनेशन संयंत्र का उद्घाटन किया गया। शनिवार को इसका उद्घाटन सांसद प्रवेश वर्मा ने किया। यह संयंत्र साउथ एमसीडी द्वारा लगाया गया है। बायोमिथिनेशन संयंत्र प्ले मॉडल पर आधारित है और इसे किसी भी समय एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। इसमें से कुछ भी अपशिष्ट नहीं निकलता और इनकी कम से कम पानी से सफाई की जा सकती है। यह संयंत्र जैविक कचरे को प्रोसेस करके बिजली और जैविक खाद और कम्पोस्टर बनाते हैं।
एक बायोमिथिनेशन संयंत्र की लागत 174 लाख है और इसमें प्रतिदिन 5 मीट्रिक टन कचरे की खपत होती है। बायोमिथिनेशन संयंत्र से 250 केडब्ल्यूएच बिजली उत्पादन होगा जिसे नेट मीटरिंग से ग्रिड में डाला जाएगा। यह प्रतिदिन 75 किलोग्राम खाद भी बनाएगा। ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 के अनुरूप वैज्ञानिक तरीके से ठोस कचरे का निष्पादन, विकेंद्रीयकृत निष्पादन को बढ़ावा, लैंडफिल साइट के बोझ में कटौती, परिवहन के दौरान कार्बनडाइक्साइड और मिथेन गैस के उत्सर्जन में कमी और बिजली बनाते समय इंधन की खपत भी नहीं होगी।
इस दौरान सांसद ने बताया कि साउथ एमसीडी ने चार बायोमिथिनेशन प्लांट, चार एरोबिक ड्रम कम्पोस्टर और कई दूषित जल उपचार संयंत्र लगाने का फैसला किया है। इनमें से एक बायोमिथिनेशन संयंत्र पंजाबी बाग में लगाया जा चुका है और दूसरा द्वारका में लगाया गया है। सांसद ने कहा कि कचरे के प्रबंधन को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि साउथ एमसीडी द्वारा स्थापित नए संयंत्रों से निश्चित रूप से प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकेगी।
कार्यक्रम के दौरान साउथ एमसीडी नेता सदन कमलजीत सहरावत ने कहा कि साउथ एमसीडी शत प्रतिशत कचरा प्रोसैस करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि निगम वर्तमान लैंडफिल साइट को उपचारित कर उसे हरी भरी सुंंदर पहाड़ी के रूप में विकसित कर रही है। उन्होंने नजफगढ़ जोन में 2 गोबर गैस संयंत्र लगाने का उल्लेख किया।