नई दिल्ली : दिल्ली में लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही आप और कांग्रेस के बीच महीनों तक गठबंधन को लेकर चर्चा का दौर जारी रहा। कभी छुकाव आप की तरफ दिखता तो कभी कांग्रेस के तरफ। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चाहते थे कि दिल्ली में आप और कांग्रेस मिलकर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़े और इस पर विजयी हासिल करें। लेकिन कांग्रेस की तरफ से हरी झंडी नहीं मिलने से गठबंधन परवान नहीं चढ़ पाया और दोनों पार्टी ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया।
इस दौरान दिल्ली में मुख्यमंत्री केजरीवाल से लेकर अन्य नेताओं ने धुआंधार रैलियां की। दोनों पार्टियों को ये लगा था कि वह दिल्ली की सात लोकसभा सीट के लिए दो से तीन सीट पर जरूर जीत दर्ज करेंगे। लेकिन 23 मई को आए लोकसभा चुनाव के परिणाम ने यह साबित कर दिया कि दिल्ली में अगर आप और कांग्रेस में गठबंधन भी होता तो भी वह दिल्ली में भाजपा का विजय रथ नहीं रोक पाता।
दिल्ली में गुरुवार को आए लोकसभा परिणाम इस बात की गवाह बनी और दिल्ली के सातों सीटों पर फिर से भाजपा क्लीन स्वीप करने में कामयाब रही। यहां आपकों बता दे कि दिल्ली के सभी सातों सीटों पर कांग्रेस और आप के उम्मीदवार ने इतने मत नहीं पाए कि वह भाजपा के किसी भी उम्मीदवार को टक्कर दे सके।
हर लोकसभा क्षेत्र में अगर आप-कांग्रेस के मतों को जोड़ दिया जाए तो भी वह भाजपा उम्मीदवार के आसपास नहीं दिखते नजर आ रहे हैं। हर लोकसभा क्षेत्र से आप और कांग्रेस के उम्मीदवार भाजपा उम्मीदवारों के मतों से करीब एक लाख से दो लाख पीछे रहे।
– कौशल शर्मा