पश्चिमी दिल्ली : रोहिणी जिले के किराड़ी इलाके की घटना इस वर्ष के आखिरी माह के ‘काला दिसंबर’ की सबसे बड़ी तीसरी घटना है। किराड़ी में हादसे से पहले परिवार के लोग खाना खाने के बाद अपने-अपने कमरे में सो गये। कुछ लोगों ने रात को अपने जानकारों को मैसेज व कॉल भी किया।
किसी को क्या पता था कि रविवार की रात उनकी आखरी रात होगी। बीती रात 12.30 बजे अचानक इंदिरा एन्क्लेव के डी-ब्लाक के एक मकान के ग्राउंड फ्लोर पर बने कपड़े के गोदाम से धुंआ निकलना शुरू हुआ। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया।
निकलने का दूसरा रास्ता होता तो बच जाती जानें…
बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर बने गोदाम के गेट का ताला बाहर से लगा हुआ था। वहीं ऊपर आने व जाने के रास्ते पर जीने वाले गेट पर अंदर से ताला लगा था। आग लगने से दोनों दरवाजे गर्म होकर लाल हो चुके थे। दमकलकर्मी अभी आग बुझा ही रहे थे कि दूसरी मंजिल पर एलपीजी सिलेंडर अचानक से ब्लास्ट हो गया। ब्लास्ट होते ही मकान की दीवार में बड़ा छेद हो गया और पास के दूसरे मकान में जाकर सिलेंडर का कुछ अंश लगा।
इस बीच वहां अफरा-तफरी मच गई। दमकल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऊपर कई लोगों के फंसे होने की सूचना थी। किसी तरह आग पर थोड़ा काबू पाकर पहले गोदाम और जीने के दरवाजे को तोड़ा गया। दमकल के वरिष्ठ अधिकारी स्वंय बीए सूट (अग्निशमन सूट) व ऑक्सीजन मास्क पहनकर अंदर घुसे।
पहली मंजिल पर पहुंचने पर कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। अधिकारी के मुताबिक, दमकलकर्मी ने दरवाजे को तोड़ा। अंदर जाकर देखा तो उदयकांत, उसकी पत्नी मुस्कान व तीनों बच्चे अचेत अवस्था में पड़े हुए थे। दमकल कर्मियों ने पहले सभी को सीपीआर दिया। इसके बाद एक-एक कर सभी को नीचे उतारा गया।
इस संबंध में दर्ज हुआ मामला… वहीं रोहिणी जिला के डीसीपी एसडी मिश्रा के अनुसार, पुलिस ने सोमवार को सात लोगों का पोस्टमार्टम कराकर शव परिवार को सौंप दिए हैं। पुलिस ने आग लगने के मामले में 285 और 304 ए (आग लगने के संबंध में उपेक्षा पूर्ण आचरण रखने और लापरवाही से मौत) का मामला दर्ज कर जांच कर रही है।