मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को विदेशी संपत्तियों का खुलासा नहीं करने से जुड़े एक मामले में पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम के परिजन को एक विशेष अदालत के सामने उपस्थिति से दो नवंबर तक छूट के अंतरिम आदेश की समयावधि बढ़ा दी। यह मामला आयकर विभाग ने उनके खिलाफ दायर किया है।
न्यायमूर्ति एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद की खंडपीठ चिदंबरम की पत्नी, बेटे और बहू द्वारा दायर मुख्य अपीलों पर अपना आदेश पहले ही सुरक्षित रख चुकी है। इन अपीलों में कालाधन कानून के तहत आयकर विभाग द्वारा उनके खिलाफ शुरू किये गये अभियोजन को चुनौती दी है।
अदालत ने 14 सितंबर को एक अंतरिम आदेश में चिदंबरम की पत्नी नलिनी, उनके बेटे कार्ति तथा बहू श्रीनिधि को आर्थिक अपराध मामलों की विशेष अदालत के सामने उपस्थिति से 12 अक्टूबर तक छूट दी थी। इस अंतरिम आदेश की मियाद शुक्रवार को खत्म होने वाली थी और इसलिए इसकी समयावधि दो नवंबर तक बढा दी। यह मुद्दा तीनों द्वारा विदेशी संपत्तियों और बैंक खातों की कथित रूप से जानकारी नहीं देने से जुड़ा है।
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आयकर विभाग के अनुसार चिदंबरम के तीनों परिजनों ने ब्रिटेन के कैंब्रिज में 5.37 करोड़ रुपये की संयुक्त मालिकाना संपत्ति का खुलासा नहीं किया जो कालाधन कानून के तहत अपराध है। विभाग का यह भी आरोप है कि कार्ति चिदंबरम ने ब्रिटेन के मेट्रो बैंक में मौजूद एक विदेशी खाते तथा नैनो होल्डिंग एलएलसी, अमेरिका तथा अन्य में निवेश की जानकारी भी नहीं दी।
विभाग ने मई में विशेष अदालत में दर्ज कराई शिकायत में यह बात कही थी। तीनों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। एक न्यायाधीश की पीठ द्वारा कोई राहत देने से इंकार करने पर उन्होंने बड़ी पीठ के सामने अपील दायर की थी।