करीब 10 साल पहले फरार इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) का आतंकी आरिज खान उर्फ जुनैद (32) पकड़ा गया। जुनैद का नाम पहली बार तब सामने आया जब बटला हाउस एनकाउंटर में पकड़े गए आतंकी मोहम्मद सैफ और शहजाद अहमद से पूछताछ हुई थी। जुनैद जयपुर में सीरियल ब्लास्ट सहित 4 राज्यों में 165 लोगों की जान लेने में शामिल था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे भारत-नेपाल बॉर्डर से पकड़ा। आजमगढ़, यूपी का यह आतंकी 2008 के जयपुर धमाकों के बाद से ही फरार था। इन धमाकों में गिरफ्तार होने वाला वह 8वां आतंकी है। आरिज राजस्थान के अलावा अहमदाबाद, दिल्ली व उत्तर प्रदेश में मोस्ट वांटेंड था। सिमी व आईएम के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बाद वह दोनों आतंकी संगठन खड़े करने में जुटा था।
एटीएस जयपुर के एडीजी उमेश मिश्रा ने बताया कि उसे प्रोडक्शन वारंट पर जयपुर लाया जाएगा। शहजाद बटला एनकाउंटर के बाद फरार होने में कामयाब रहा था, लेकिन 2010 में उसे आजमगढ़ से गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मुठभेड़ में शामिल में 5 आतंकियों में तीन गिरफ्तार हो चुके हैं जबकि दो मारे गए थे। बता दें कि इस एकाउंटर को कुछ नेताओं ने फर्जी करार दिया था और इसको लेकर काफी विवाद हुआ था। एक अधिकारी ने 19 सितंबर 2008 के उस एनकाउंटर को याद करते हुए बताया कि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मोहन चंद शर्मा 7-8 जवानों के साथ दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर स्थित बटला हाउस फ्लैट नंबर L-18 में सुबह 10.30 पर पहुंचे थे।
सब इंस्पेक्टर धर्मेंद्र एक टेलिकॉम फर्म का एजेंट बनकर फ्लैट में घुसे जबकि 6 जवान सीढ़ियों पर इंतजार कर रहे थे। अधिकारी ने कहा, ‘धर्मेंद्र ने वापस आकर फ्लैट में आतंकियों के होने की पुष्टि की। फ्लैट का मुख्य दरवाजा लॉक था। हमने फ्लैट के दूसरी तरफ की गेट से देखने की कोशिश की। हालांकि इसी बीच ड्रॉइंग रूम और फ्लैट की बाईं तरफ से हमपर फायरिंग शुरू हो गई। आतंकियों की अंधाधुंध फायरिंग के कारण इंस्पेक्टर शर्मा और हेड कांस्टेबल बलवंत गिर पड़े।’ धर्मेंद्र और हेड कांस्टेबल उदयवीर शर्मा को अस्पताल ले गए जबकि सब इंस्पेक्टर रविंद्र त्यागी ने बलवंत को नीचे लाकर एक अन्य अधिकारी के पास छोड़ा और फिर वापस फ्लैट में आ गए।
अधिकारी ने बताया, ‘एनकाउंटर शुरू होने के कुछ देर बाद डीसीपी आलोक कुमार और एसीपी संजीव यादव भी घटनास्थल पर पहुंच गए थे। इस बीच एक अन्य आतंकवादी छोटा साजिद को ढेर कर दिया गया था। जब हमने फिर से कमरे में घुसने की कोशिश की तो कांस्टेबल राजबीर को बुलेटप्रूफ जैकेट में दो गोली लगे। हमने मोहम्मद सैफ को बाथरूम से पकड़ा और उसने समर्पण कर दिया।’ जवानों पर गोलियां बरसाने वालों में गिरफ्तार आरिज खान उर्फ जुनैद भी शामिल था। उस एनकाउंटर में मोहम्मद आतिफ और मोहम्मद साजिद उर्फ पंकज मारे गए थे। आरिज खान और शहजाद उर्फ पप्पू भागने में कामयाब हो गए थे। उस दौरान मोहम्मद सैफ नाम का एक आतंकवादी बाटला हाउस के उस रूम के बाथरूम से गिरफ्तार कर लिया गया था, जहां से आतंकवादियों ने स्पेशल सेल की टीम पर गोलियां बरसाई थीं।
दो साल बाद शहजाद को तो गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन आरिज फरार चल रहा था। एनकाउंटर के बाद रूम से पिस्टल और एके-47 रायफल भी बरामद हुई थी। इस हमले में दिल्ली पुलिस को अपने एक बेहतरीन अधिकारी को खोना पड़ा था। हालांकि इस मुठभेड़ के बाद राजनीति भी खूब हुई थी। कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव दिग्विजय सिंह ने बटला एनकाउंटर को फर्जी करार दिया था और इसकी न्यायिक जांच की मांग की थी। उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी और तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने दिग्विजय के बयान से खुद को अलग कर लिया था।
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