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JNU में हिंसा के बाद कैब और ऑटोरिक्शा चालक परिसर जाने से कर रहे है इनकार

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार रात हुई हिंसा के बाद कई कैब और ऑटोरिक्शा चालक विद्यार्थियों को परिसर से लेने या उन्हें छोड़ने जाने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार रात हुई हिंसा के बाद कई कैब और ऑटोरिक्शा चालक विद्यार्थियों को परिसर से लेने या उन्हें छोड़ने जाने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। जेएनयू के कई विद्यार्थियों ने बताया कि कैब और ऑटोरिक्शा चालक ‘विश्वविद्यालय की परिस्थितियों’ का हवाला देते हुए विश्वद्यालय आने-जाने से मना कर रहे हैं। 
जेएनयू की छात्रा देबोमिता चटर्जी ने कहा, ‘‘ हम विरोध प्रदर्शन के लिए जेएनयू से मंडी हाउस जाना चाहते थे लेकिन चालकों ने विश्वविद्यालय परिसर में आने से मना कर दिया। उन्होंने हमें हमारे छात्रावास से दूर अरुणा आसफ अली मार्ग के निकट टी-प्वाइंट पर आने के लिए कहा।’’ उन्हें और अन्य तीन विद्यार्थियों को भी लंबी दूर तक चलना पड़ा, इसके बाद ही उन्हें परिवहन साधन मिल पाया। उन्हें इस बीच नार्थ गेट से आगे दोनों छोरों पर भारी बैरिकेडिंग से भी बहुत दिक्कत हुई। 
कई अन्य छात्रों का कहना है कि कैब चालक को जैसे ही पता चलता है कि उन्हें छात्रों को लेने या छोड़ने के लिए जेएनयू जाना है, वह यात्रा रद्द कर देते हैं। नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक कैब चालक ने कहा, ‘‘ ऐसा नहीं है कि हम यात्रियों को पहले छोड़ने या लेने नहीं जाते थे लेकिन जेएनयू में स्थिति ऐसी है कि हम खतरा मोल नहीं ले सकते हैं, तब क्या होगा जब हमारे वाहन को कोई नुकसान पहुंचाने लगे।’’ 

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विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के मुख्य दरवाजे से दूर कैब लेते हुए देखा गया और कई चालकों का कहना है कि जेएनयू या इसके निकट वाहनों को नहीं ले जाने के पीछे सुरक्षा की चिंता मुख्य कारण है। हौज खास से जेएनयू परिसर जाने को कहने पर कुछ ऑटो चालक सीधे तौर पर मना कर देते हैं या अपने वाहन को तेज करके निकल जाते हैं। एक ऑटोरिक्शा चालक सतपाल ने कहा, ‘‘ वहां स्थिति अच्छी नहीं है, इसलिए मैं खतरा मोल नहीं ले सकता हूं। मैं एक गरीब ऑटोवाला हूं। मुझे रोजी-रोटी जुटानी पड़ती है। इसलिए मुझे सतर्क रहना है। जेएनयू में स्थिति कभी भी बदल सकती है। कौन जानता था कि रविवार को स्थिति इतनी डरावनी हो जाएगी।’’ 
वहीं एक अन्य चालक दलजीत सिंह ने कहा कि वह यात्रियों को विश्वविद्यालय परिसर ले जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ जब हिंसक घटना हुई तो मेरा भाई परिसर में मौजूद था। वह कुछ देर तक फंसा रहा, लेकिन मैं किसी को विश्वविद्यालय ले जाने से मना नहीं कर रहा हूं क्योंकि मैं कुछ साल पहले बेरसराय क्षेत्र में रहा हूं इसलिए मैं इस स्थान को जानता हूं। मुझे कोई डर नहीं है।’’ गौरतलब है कि पांच जनवरी को कुछ नकाबपोश लोगों ने विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था। 

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