कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 28 हजार दुर्गापूजा समितियों को 10-10 हजार रुपये देने के राज्य सरकार के फैसले में हस्तक्षेप से बुधवार को इनकार कर दिया। अदालत द्वारा दुर्गापूजा समितियों को धनराशि देने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका का निस्तारण किए जाने के साथ ही धनराशि वितरण पर लगी अंतरिम रोक समाप्त हो गई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश देबाशीष कर गुप्ता और न्यायमूर्ति सम्पा सरकार की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार के खर्च के संबंध में फैसले लेने के लिए विधायिका उचित मंच है। यह रेखांकित करते हुए कि दुर्गा पूजा समितियों को धन देने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले पर इस स्तर पर अदालत हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है, पीठ ने कहा कि आगे मौका आने पर अदालत इसमें हस्तक्षेप कर सकती है।
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महाधिवक्ता किशोर दत्ता में खंडपीठ के समक्ष दलील दी थी कि इस धन का प्रयोग यातायात सुरक्षा अभियान के तहत पुलिस की सहायता करने के लिए किया जाना है और इसका उपयोग धार्मिक कार्य में नहीं हो रहा। याचिका दायर करने वाले ने प्रदेश की दुर्गा पूजा समितियों को 28 करोड़ रुपये देने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए दावा किया था कि यह सिर्फ दुर्गा पूजा समितियों को दान है और इसका कोई सार्वजनिक उपयोग नहीं है।